नई दिल्ली। हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला में स्थित संजौली मस्जिद को लेकर विवाद मामले में आज शिमला नगर निगम आयुक्त कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया। अदालत ने मुस्लिम पक्ष को झटका देते हुए संजौली मस्जिद की शेष बची दो मंजिलों को भी तोड़ने का आदेश जारी कर दिया। दरअसल वक्फ बोर्ड ना तो मस्जिद की जमीन पर मालिकाना हक के कागज कोर्ट में पेश कर सका और ना ही मस्जिद निर्माण का नक्शा, जिसके चलते अदालत ने मस्जिद को अवैध माना। नगर निगम आयुक्त भूपिंदर अत्री ने कहा कि पूरी मस्जिद नियमों को दरकिनार कर बनाई गई है ऐसे में इसे गिराया जाए।
बता दें कि पिछले साल सितंबर में हिंदू संगठनों ने इस मुद्दे को उठाते हुए बिना नक्शा पास कराए और निर्माण कार्य की अनुमति के बगैर ही मस्जिद में पांच मंजिला निर्माण कराए जाने का आरोप लगाया था। इस मामले को लेकर शिमला में हिंदू संगठनों ने विरोध प्रदर्शन भी किया था और बाजार भी बंद रखा था। विवाद बढ़ता देख मस्जिद कमेटी ने अवैध बताए जाने वाले हिस्से को खुद ही गिराने की पेशकश की थी। हालांकि बाद में कोर्ट ने मस्जिद की ऊपरी तीन मंजिलों को गिराने का आदेश दिया था।
उधर, इस पूरे मामले पर मस्जिद के इमाम शाहजाद का कहना है कि इसका निर्माण 1947 के पहले ही हो गया है। दूसरी तरफ स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले यहां छोटी मस्जिद थी जो कच्ची थी और विशेष समुदाय के सिर्फ दो परिवार यहां रहते थे, लेकिन कुछ सालों में यहां बड़ी संख्या में बाहरी लोग बस गए। इन बाहरी लोगों ने ही बिना अनुमति यहां बहुमंजिला मस्जिद का निर्माण करा दिया। इतना ही नहीं जुमे के दिन तो यहां इस कदर भीड़ हो जाती है कि सड़क जाम के कारण निकलना मुश्किल हो जाता है। हिमाचल की कांग्रेस सरकार के मंत्रियों में भी इस मामले को लेकर रार हो गई थी।