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Coronavirus: दिल्ली और बंगाल में सबसे ज्यादा मौत के बावजूद अनाथ बच्चों का आंकड़ा चौंकानेवाला, जबकि पूरे देश में 9 हजार से ज्यादा है संख्या

Coronavirus Children

नई दिल्ली। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) ने मंगलवार को एक हलफनामे में सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि कोरोना महामारी ने 1742 बच्चों को अनाथ कर दिया है जबकि 7464 बच्चों ने अपने माता-पिता में से कम से कम एक को खो दिया है। जबकि मार्च 2020 से 29 मई 2021 तक कम से कम 140 बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया गया है। एनसीपीसीआर के आंकड़ों के अनुसार, अनाथ और बेसहारा बच्चों की अधिकतम संख्या मध्य प्रदेश में पाई गई, जहां 318 बच्चे अनाथ थे और 104 बच्चों को बेसहारा छोड़ दिया गया था। उत्तर प्रदेश ने अपने माता-पिता में से एक को खोने वाले बच्चों की संख्या सबसे अधिक दर्ज की और यह संख्या 1,830 थी।

दिल्ली और पश्चिम बंगाल कोरोनवायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित राज्यों में से हैं और यहां मौतों के ऑकड़े रिकॉर्ड संख्या में दर्ज किए गए हैं। आपको बता दें कि दिल्ली और पश्चिम बंगाल कोरोना से होने वाली मौतों के मामले में शीर्ष 5-7 स्थानों में रहे हैं।

अब तक, भारत में लगभग 3.35 लाख लोगों की कोरोनावायरस से मौत हो चुकी है। जिनमें से 96,198 महाराष्ट्र से, 29,554 कर्नाटक से, 24,722 तमिलनाडु से, 24,299 दिल्ली से, 20,672 उत्तर प्रदेश से, 15,678 पश्चिम बंगाल से आए हैं।

लेकिन, अपने माता-पिता को खोने वाले (दिल्ली और बंगाल में) बच्चों के पंजीकरण की मामूली संख्या कई सवाल खड़े करती है। यदि वे एनसीपीसीआर के बाल स्वराज पोर्टल के तहत पंजीकृत नहीं हैं, तो वे मुफ्त शिक्षा, मुफ्त स्वास्थ्य बीमा और केंद्र सरकार द्वारा घोषित 10 लाख रुपये के कोष जैसे लाभों का लाभ नहीं उठा पाएंगे। दिल्ली और पश्चिम बंगाल में क्रमशः 20 हजार से अधिक और 15000 से अधिक मौतें हुई हैं, ऐसे में इस दावे को पचाना मुश्किल है कि इन राज्यों में केवल 5 और 1 बच्चे ही अनाथ हुए हैं। दिल्ली और पश्चिम बंगाल जैसे आबादी वाले राज्यों में इतनी कम संख्या बताती है कि सरकारी तंत्र इस पूरे मामले में झोल कर चुका है।

और, यह सब तब हुआ है जब दिल्ली के सीएम केजरीवाल ने कोविड प्रभावित परिवारों के लिए सरकारी योजनाओं के विज्ञापन पर बड़ी राशि खर्च कर दी और ममता बनर्जी दावा कर रही हैं कि पश्चिम बंगाल में हालात सामान्य है। दिल्ली ने अप्रैल और मई में अपनी अब तक की सबसे खराब महामारी से लड़ाई लड़ी, जहां शहर एक-एक सांसों के लिए हांफ रहा था, जबकि प्रशासन बेखबर दिख रहा था। ऑक्सीजन की वजह से रोजाना होने वाली मौतें नए स्तर पर पहुंच गईं लेकिन अब मृतकों के आंकड़ों में हेराफेरी को लेकर आरोप-प्रत्यारोप हो रहा है।

वहीं एनसीपीसीआर ने अदालत को यह भी बताया कि महामारी की वजह से अनाथ हुए बच्चों के लिए एक ऑनलाइन ट्रैकिंग पोर्टल “बाल स्वराज (कोविड-केयर लिंक)” बनाया गया है। पोर्टल का उपयोग उन बच्चों को ट्रैक करने के लिए भी किया जाएगा, जिन्होंने COVID-19 के दौरान अपने माता-पिता दोनों को खो दिया है। ऐसे बच्चों का डेटा अपलोड करने के लिए संबंधित अधिकारी या विभाग को पोर्टल पर “कोविड-केयर” लिंक प्रदान किया गया है। अब ऐसे में दिल्ली और पश्चिम बंगाल से अनाथ बच्चों की जो संख्या दिखाई गई है अगर उसपर नजर डालें तो साफ पता चलता है कि दाल में कुछ काला है।

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