नई दिल्ली। चंडीगढ़ मेयर चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस ने मिलकर आम आदमी पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर दीं। इस सियासी खेल का केंद्र रहीं नवनियुक्त मेयर हरप्रीत कौर बबला, जिन्हें उन्नीस वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी की उम्मीदवार प्रेमलता को केवल सत्रह वोट हासिल हुए। हरप्रीत कौर बबला न केवल चंडीगढ़ की राजनीति में अहम भूमिका निभा रही हैं, बल्कि आर्थिक रूप से भी मजबूत हैं। उनके पास करीब नौ करोड़ रुपए की संपत्ति है, जबकि उनके पति देवेंद्र बबला के पास तेइस करोड़ रुपए की संपत्ति है। दोनों की कुल संपत्ति बत्तीस करोड़ रुपए आंकी गई है। हरप्रीत कौर सोने और हीरे की शौकीन हैं। उनके पास करीब साठ लाख रुपए के जेवरात हैं। वहीं, उनके पति देवेंद्र बबला को हथियारों का भी शौक है। उनके पास एक राइफल और एक पिस्टल है, जो लाइसेंस प्राप्त हैं। बबला दंपति पर सात लाख रुपए का कार लोन भी है।
कौन हैं चंडीगढ़ की नई मेयर हरप्रीत कौर बबला?
हरप्रीत कौर बबला चंडीगढ़ की स्थानीय राजनीति में लंबे समय से सक्रिय हैं। उनके पति देवेंद्र बबला, जो पहले कांग्रेस में थे, बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। देवेंद्र बबला ने अपने राजनीतिक करियर की शुरुआत आरएसएस से की थी, लेकिन बाद में कांग्रेस में शामिल हो गए थे। हरप्रीत कौर वार्ड नंबर 10 से पार्षद चुनी गई थीं। यह वार्ड महिला आरक्षित हो जाने के कारण देवेंद्र बबला ने अपनी पत्नी को मैदान में उतारा और उन्हें जीत दिलाने में सफल रहे।
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56 वर्षीय हरप्रीत कौर ने अपनी पढ़ाई देहरादून से की है। उनके पिता भारतीय सेना में कर्नल के पद से रिटायर हुए थे। बबला दंपति के दो बेटे हैं, जिनमें से एक वकालत करते हैं और दूसरा रियल एस्टेट सेक्टर में सक्रिय है।
बीजेपी में एंट्री और खट्टर का साथ
2022 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने देवेंद्र बबला और हरप्रीत कौर बबला को बीजेपी में शामिल कराया था। बीजेपी में शामिल होते ही देवेंद्र बबला को चंडीगढ़ जिला उपाध्यक्ष का पद सौंपा गया। इससे पहले, वे कांग्रेस में रहते हुए नगर निगम में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभा चुके थे।
इस चुनाव में बीजेपी नेताओं संजय टंडन और जेपी मल्होत्रा ने अहम भूमिका निभाई। उन्होंने कांग्रेस के पार्षदों को साधकर बबला की जीत सुनिश्चित की। जब मेयर चुनाव से पहले सभी पार्षदों को सुखना लेक घुमाने ले जाया गया था, तब संजय टंडन खुद वहां मौजूद थे।
आप-कांग्रेस की रणनीति हुई फेल, क्रॉस वोटिंग ने दिलाई बीजेपी को जीत
आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने अपने पार्षदों को बचाने के लिए पंजाब शिफ्ट कर दिया था, ताकि वे क्रॉस वोटिंग न कर सकें। आप के पार्षद एकजुट रहे, लेकिन कांग्रेस में बगावत हो गई। कांग्रेस के कई पार्षदों ने क्रॉस वोटिंग कर बीजेपी का समर्थन कर दिया।
गुरुबख्श रावत नाम के कांग्रेस पार्षद ने खुलेआम बीजेपी में शामिल होकर बगावत कर दी, जबकि तीन अन्य कांग्रेस पार्षदों ने गुप्त तरीके से क्रॉस वोटिंग की। चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव में बीजेपी और कांग्रेस के इस गठजोड़ ने आप को करारी शिकस्त दी। इस चुनाव ने साबित कर दिया कि स्थानीय राजनीति में रणनीतिक चालें और समीकरण कितने अहम होते हैं।