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Pahalgam Terror Attack: पहलगाम नहीं आतंकियों का निशाना थी ये ट्रेन, जांच में हुए और कई बड़े खुलासे

Pahalgam Terror Attack: जांच में ये भी पता चला है कि पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों को निशाना बनाने वाले 2 आतंकी अली भाई उर्फ तलहा और हाशमी मूसा उर्फ सुलेमान पाकिस्तान के हैं। ये पाकिस्तान में अपने हैंडलर्स से संपर्क में थे। कुछ हफ्ते पहले ही दोनों आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की। फिर उनकी मदद ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने की। ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने आतंकियों को रहने की जगह और भोजन के साथ इलाके की जानकारी दी।

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल 2025 को हुए आतंकी हमले की जांच में रोज नए खुलासे हो रहे हैं। अखबार अमर उजाला के मुताबिक जांच में ये पता चला है कि पहलगाम की बैसरन घाटी में 26 पर्यटकों की जान आतंकियों ने इस वजह से ली, क्योंकि वे वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन को निशाना न बना सके। अखबार के मुताबिक जांच में पता चला है कि आतंकियों का इरादा 19 अप्रैल को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेन पर हमला करने का था। उस तारीख को पीएम नरेंद्र मोदी कटड़ा से श्रीनगर वंदे भारत को हरी झंडी दिखाने वाले थे, लेकिन मौसम खराब होने की आशंका के कारण उनका दौरा टल गया।

जांच में ये भी पता चला है कि पहलगाम की बैसरन घाटी में पर्यटकों को निशाना बनाने वाले 2 आतंकी अली भाई उर्फ तलहा और हाशमी मूसा उर्फ सुलेमान पाकिस्तान के हैं। ये पाकिस्तान में अपने हैंडलर्स से संपर्क में थे। कुछ हफ्ते पहले ही दोनों आतंकियों ने जम्मू-कश्मीर में घुसपैठ की। फिर उनकी मदद ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने की। ओवर ग्राउंड वर्कर्स ने आतंकियों को रहने की जगह और भोजन के साथ इलाके की जानकारी दी। अखबार ने जांच करने वाली एजेंसी एनआईए के अफसरों के हवाले से बताया है कि घटना के दिन 2 स्थानीय आतंकी पर्यटकों के साथ हो गए थे। जैसे ही गोली चलनी शुरू हुई, वे सभी पर्यटकों को फूड कोर्ड ले गए। वहां पाकिस्तानी आतंकियों ने उनको निशाना बनाया।

जांच में पता चला है कि पहलगाम में पर्यटकों का नरसंहार करने वाले आतंकियों ने चीन की वावे कंपनी के बने सैटेलाइट फोन इस्तेमाल किए। एनआईए के मुताबिक पाकिस्तान या किसी और देश से ये सैटेलाइट फोन लाए गए थे। बता दें कि भारत ने चीन की टेलीकॉम कंपनी वावे को बैन कर रखा है। इससे पहले खबर आई थी कि पहलगाम की बैसरन घाटी में हमला करने वाले आतंकियों के पास रसद कम है और वे घटनास्थल के 30 किलोमीटर के दायरे में कहीं छिपे हैं। इन आतंकियों की सेना और अन्य सुरक्षाबल तेजी से तलाश कर रहे हैं। घने जंगल होने के कारण आतंकियों का पता करने के लिए हेलीकॉप्टर और ड्रोन की मदद भी ली जा रही है।

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