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पाकिस्तान के अखबार में छाए हैं प्रशांत भूषण और राहुल गांधी, लिखा दोनों साथ आ जाएं तो बदल जाएगा नजारा

prashant bhushan on rahul gandhi

नई दिल्ली। देश में अभिव्यक्ति की आजादी (Freedom of speech) और लोकतंत्र (Democracy) को लेकर सवाल उठते रहते हैं फिलहाल इसी मुद्दे को एक बार फिर से वकील प्रंशात भूषण के अवमानना मामले ने (Prashant Bhushan) तूल दे दिया है। सुप्रीम कोर्ट की अवमानना (Contempt of court) के मामले में जिस तरह से कोर्ट उनके खिलाफ सख्ती दिखा रही है उससे पूरी दुनिया में उनको समर्थन मिल रहा है। अब एक पाकिस्तानी अखबार ने इस मामले में टिप्पणी करते हुए लिखा है कि भारत में कांग्रेस नेता राहुल गांधी (Rahul Gandhi) और प्रशांत भूषण (Prashant Bhushan) साथ आ जाएं तो उससे भारतीय लोकतंत्र को फायदा होगा।

पाकिस्तानी अखबार ने अपने लेख में लिखा है कि भारत में राहुल गांधी की तारीफ होनी चाहिए वह विपक्ष प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) के खिलाफ डटकर खड़े होते हैं। वहीं दूसरी तरफ प्रशांत भूषण भी डटकर सुप्रीम कोर्ट में खड़े हैं। इन दोनों की नियती कहीं मिलती है अगर यह दोनों एक साथ आए तो दक्षिणपंथी ताकतों से लोकतंत्र बचाया जा सकता है।

अखबार ने आगे लिखा है कि राहुल की पार्टी इकलौती ऐसी पार्टी है जो कश्मीर से कन्या कुमारी तक पहुंच रखती है। भारत में उसे पिछले लोकसभा चुनावों (Loksabha Election) में 10 फीसद वोट मिले थे। वह कहते हैं कि पिछले कुछ दशकों में भारत में जो भी कुछ हुआ है उसे लेकर भी कांग्रेस घिरी हुई है। जिस कारण दक्षिणपंथी सत्ता में आ गए हैं। अब लोकतंत्र को बचाने के लिए दोनों लोगों को एक साथ आना होगा।

वहीं प्रशांत को लेकर टिप्पणी में यह अखबार कहता है कि वह भारत में पूंजीपतियों (Capitalist) और राजनीतिक घराने के गठजोड़ के खिलाफ आवाज उठाते हैं। वह कश्मीर में लोकतांत्रिक अधिकारों, दलित और मुस्लिमों की बात करते हैं। वह इस लड़ाई को अकेले नहीं लड़ सकते हैं। वह प्रशांत की जमकर तारीफ करते हुए कहते हैं कि उनका दायरा बहुत बड़ा है। उन्होंने 2015 में बीजेपी के रथ को दिल्ली में अरविंद केजरीवाल (Arvind kejriwal) के साथ मिलकर रोक दिया था। बाद में जब केजरीवाल भी वही सब करने लगे जिसकी उन्होंने आलोचना की थी तो उन्होंने केजरीवाल का साथ छोड़ दिया। उनके निशाने पर हमेशा कॉरपोरेट और राजनीतिक घराने रहते हैं।

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