नई दिल्ली। काफी लंबे समय तक ओझल रहने के बाद आज आखिरकार महाराष्ट्र के पूर्व पुलिस आयुक्त परमबीर सिंह गोरेगांव वसूली में चल रही जांच में शामिल होने के लिए दफ्तर पहुंचे। इस बीच उन्होंने मीडिया से मुखातिब होते हुए सुप्रीम कोर्ट से इंसाफ की उम्मीद भी जताई। इससे पूर्व उन्होंने महाराष्ट्र के भूतपूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख पर 100 करोड़ रूपए की वसूली करने का आरोप लगाया था। जिसकी वजह से उन्हें अपने पद से इस्तीफा भी देना पड़ा था। वहीं, परमबीर को कोर्ट की तरफ से भगोड़ा भी घोषित किया जा चुका है, लेकिन इससे पहले उन पर महाराष्ट्र के रिटायर्ड एसीपी शमशेर पठान खान ने गंभीर आरोप लगाए हैं। दरअसल, महाराष्ट्र के सेवानिवृत एसीपी शमशेर पठान खान ने विगत 26 जुलाई 2021 को महाराष्ट्र के मौजूदा पुलिस आयुक्त को पत्र लिखा था। जिसमें उन्होंने कसाब को गिरफ्तार करने के दौरान परमबीर की कार्यशैली को सवालिया कठघरे में खड़ा कर दिया है।
उन्होंने परमबीर पर आरोप लगाते हुए लिखा कि 26/11 मुंबई हमले के दौरान आतंकी कसाब को जहां पकड़ा गया था, वहां मौके पर परमबीर सिंह भी मौजूद थे, जहां उन्होंने कसाब के खिलाफ कार्रवाई के दौरान उसका मोबाइल फोन बरामद करके अपने पास रख लिया था। सेवानिवृत एसीपी शमशेर द्वारा लिखे पत्र के मुताबिक, अगर परमबीर ने उस मोबाइल को जांच अधिकारियों को सौंप दिया होता, तो इस मुंबई हमले के केस के संदर्भ में विस्तृत जांच हो सकती थी। पाकिस्तान से लेकर हिंदुस्तान तक के उन हैंडलर्स का पता लगाया जा सकता था जिनकी मदद से इस हदयविदारक हमले को अंजाम दिया गया था।
Mumbai | Retired ACP Shamsher K Pathan in a letter to Mumbai Police Commissioner in July 2021 alleged that “during 26/11 terrorist attacks, Param Bir Singh, the then DIG ATS, confiscated terrorist Ajmal Kasab’s phone, ensuring that phone never appeared during the probe or trial” pic.twitter.com/ArkN3MmbWj
— ANI (@ANI) November 26, 2021
लेकिन परमबीर ने इस मोबाइल को जांच अधिकारियों को देने के बजाय खुद के पास रखकर राष्ट्रीय सुरक्षा के साथ बहुत बड़ा खिलवाड़ किया। यही नहीं, परमबीर ने जिस मोबाइल फोन को कसाब के पास से बरामद किया था, उसी फोन से लगातार हमले के वक्त पाकिस्तान की तरफ से उसे निर्देश दिए जा रहे थे। ऐसी स्थिति में इस पूरे केस में उस मोबाइल की महत्ता को समझा जा सकता है कि अगर यह मोबाइल हाथ लग जाता, तो इस विध्वंसक हमले से जुड़े कितने ही राज बेपर्दा हो सकते थे। अब ऐसे गंभीर आरोपों के बाद परमबीर पर गंभीर सवाल उठना लाजिमी है।
शमशेर ने आगे अपने पत्र में कहा कि 2007 से 2011 के बीच वे पाईधुनी पुलिस स्टेशन में बतौर सीनियर पुलिस इंसपेक्टर तैनात थे। उनके बैचमैट एनआर माली बतौर सीनियर इंस्पेक्टर डीबी मार्ग पुलिस स्टेशन पर तैनात थे। दोनों का अधिकार क्षेत्र जोन-2 में ही आता है। 26/11 के दिन कसाब को गिरगांव चौपाटी इलाके में ही पकड़ा गया था। शमशेर ने कहा कि इस बात की जानकारी उन्हें तब हुई जब उनकी माली से फोन पर बात हुई थी। माली ने मुझे बताया था कि कसाब के पास से एक मोबाइल फोन भी बरामद हुआ है, जो कि कांस्टेबल कांबले के पास था, जिसे बाद में एटीएस के तत्कालीन चीफ परमबीर सिंह ने अपने रख लिया था, लेकिन उस वक्त इस केस के जांच अधिकारी रमेश महाले को नहीं सौंपा था। अगर नहीं सौंप दिया होता तो इस केस से जुड़े कई राज बेपर्दा हो सकते थे। इस फोन के जरिए पाकिस्तान से लेकर हिंदुस्तान तक के हैंडलर का पता लगाया जा सकता था। शमशेर आगे अपने पत्र में कहते हैं कि जब उनकी माली ने परमबीर मोबाइल फोन मांगने परमबीर के ऑफिस पहुंचे तो वे उन्होंने उल्टा माली को ही डांट लगा दी और उन्हें वापस लौटा दिया और फोन देने से साफ मना कर दिया।