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Patanjali Misleading Advertisement Case : क्या माफीनामा उतना ही बड़ा छपवाया जितना भ्रामक विज्ञापन दिया था, सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जताते हुए रामदेव से किया सवाल

नई दिल्ली। पतंजलि की ओर से दिए गए भ्रामक विज्ञापन मामले में रामदेव और बालकृष्ण की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। पहली दो पेशियों में लगातार सुप्रीम कोर्ट की कड़ी फटकार के बाद आज फिर रामदेव और बालकृष्ण को शीर्ष अदालत की नाराजगी झेलनी पड़ी। आज पेशी के दौरान रामदेव के वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि हमने कल की देशभर के 67 अखबारों में सार्वजनिक माफीनामा प्रकाशित कराया है। इस पर जस्टिस हिमा कोहली और अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पूछा कि क्या माफीनामा उतने ही साइज में छपवाया जितने साइज में भ्रामक विज्ञापन दिया था। पीठ ने रामदेव से ये सवाल भी पूछा कि आखिर सुनवाई से ठीक पहले ही सार्वजनिक माफीनामे को क्यों छपवाया? इसी के साथ कोर्ट ने माफीनामे को हाईलाइट करके बड़े साइज में प्रकाशित कराने का आदेश दिया। मामले की अगली सुनवाई 30 अप्रैल को होगी जिसमें फिर से रामदेव और बालकृष्ण को व्यक्तिगत रूप से पेश होना पड़ेगा।

सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन से कहा कि जब वह पतंजलि पर उंगली उठा रहा है तो चार उंगलियां उन पर उठ रही हैं। आपके डॉक्टर भी एलोपैथी क्षेत्र में दवाओं का समर्थन कर रहे हैं। यदि ऐसा हो रहा है, तो हमें आप (आईएमए) पर नजर घुमानी चाहिए? बता दें कि इससे पहले 16 अप्रैल को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव और बालकृष्ण को कड़ी फटकार लगाते हुए उनका माफीनामा स्वीकार करने से मना कर दिया था। तब रामदेव ने कहा था कि हम सार्वजनिक माफी मांगने को भी तैयार है। इसी बात पर रामदेव और बालकृष्ण की ओर से आज अखबारों में माफीनामा प्रकाशित कराया गया जिसमें कहा गया, पतंजलि आयुर्वेद शीर्ष अदालत की गरिमा का पूरा सम्मान करता है। हम विज्ञापन प्रकाशित करने और प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने की गलती के लिए ईमानदारी से माफी मांगते हैं। हम इस बात की प्रतिबद्धता जताते हैं कि भविष्य में ऐसी गलती दोबारा नहीं होगी।

पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव को फटकार लगाते हुए कहा था कि हमें मालूम है आप जो कर रहे हैं वो व्यापार है। जिस आयुर्वेद का आप प्रचार कर रहे हैं, वह हमारी संस्कृति में बहुत पुरानी है। अपनी चीज को अच्छा बताने के लिए एलोपैथी को खारिज करना उचित नहीं है। बता दें कि इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की ओर से 17 अगस्त 2022 को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी। इसमें कहा गया है कि पतंजलि ने कोविड वैक्सीनेशन और एलोपैथी के खिलाफ निगेटिव प्रचार किया। वहीं खुद की आयुर्वेदिक दवाओं से कुछ बीमारियों के इलाज का झूठा दावा किया है। आईएमए की ओर से इस मामले में पतंजलि पर कार्रवाई करने की मांग की गई है।

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