नई दिल्ली। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने एक कार्यक्रम के दौरान भारतीय भाषाओं को लेकर बात की। इस दौरान उन्होंने अंग्रेजी को लेकर एक बहुत बड़ा बयान दिया। अमित शाह ने हिंदी भाषा के बारे में कहा कि उस पर कोई संकट नहीं है। इस बाद वो बोले, मेरी बात ध्यान रखना और ध्यान से सुनना, इस देश में अंग्रेजी बोलने वालों को शर्म आएगी, ऐसे समाज का निर्माण अब दूर नहीं है। गृहमंत्री ने कहा कि हमारे देश की भाषाएं हमारी संस्कृति का गहना हैं। हमारे देश की भाषाओं के बिना हम भारतीय ही नहीं हैं। हमारा देश, उसका इतिहास, उसकी संस्कृति, हमारा धर्म उसको किसी विदेश भाषा में नहीं समझा जा सकता है। आधी-अधूरी विदेशी भाषाओं के साथ संपूर्ण भारत की कल्पना नहीं हो सकती। यह केवल और केवल भारतीयता से हो सकती है, भारतीय भाषा से हो सकती है।
<blockquote class=”twitter-tweet” data-media-max-width=”560″><p lang=”en” dir=”ltr”>🚨 A complete India cannot be imagined with incomplete foreign languages. — Amit Shah<br><br>🗣️ “A society where people feel ashamed of speaking English is not far away. Our languages are the jewels of our culture. Without them, we are not Indians.”<br><br>📜 History, 🕉️ religion, 🎭 culture… <a href=”https://t.co/NBu05MPKaA”>pic.twitter.com/NBu05MPKaA</a></p>— Political Views (@PoliticalViewsO) <a href=”https://twitter.com/PoliticalViewsO/status/1935620921085043175?ref_src=twsrc%5Etfw”>June 19, 2025</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
पूर्व आईएएस अधिकारी अशुतोष अग्निहोत्री की किताब ‘मैं बूंद स्वयं, खुद सागर हूं’ के विमोचन अवसर पर नई दिल्ली में गृहमंत्री ने यह बाते कहीं। शाह बोले, मैं इस बात से पूरी तरह वाकिफ हूं कि लड़ाई कितनी कठिन है लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि यह लड़ाई भारतीय समाज जीतेगा। हम अपनी भाषाओं पर गर्व करते हुए हम अपना देश चलाएंगे, शोध करेंगे, निर्णय भी निकालेंगे और विश्व का नेतृत्व भी करेंगे। इसमें किसी को संशय करने की जरूरत नहीं है।
अमित शाह ने बताए पीएम मोदी के पंच प्रण
गृहमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमृत काल के लिए पंच प्रण की नींव रखी है। 2047 तक विकसित भारत का लक्ष्य रखा है, गुलामी के हर अंश से मुक्ति प्राप्त करना, अपनी विरासत पर गर्व कराना, एकता और एकजुटता को समर्पित रहना तथा हर नागरिक में कर्तव्य की भावना को जगाना, यही पंच प्रण है जो देश के 130 करोड़ लोगों का संकल्प बन चुका है। 2047 में हमें दुनिया में शीर्ष पर पहुंचाने में हमारी भाषाओं का बहुत बड़ा योगदान होगा।