नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को घोषणा की कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने ‘वन नेशन, वन इलेक्शन’ पर उच्च स्तरीय समिति द्वारा दी गई सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। उन्होंने इस पहल को आगे बढ़ाने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की नेतृत्व क्षमता की सराहना की और कहा कि यह कदम देश के लोकतंत्र को और भी अधिक जीवंत और सहभागी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
पीएम मोदी ने पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को दी बधाई
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कहा, “मंत्रिमंडल ने एक साथ चुनाव कराने के बारे में उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशों को स्वीकार कर लिया है। मैं इस महत्त्वपूर्ण प्रयास का नेतृत्व करने और विभिन्न राजनीतिक पार्टियों से परामर्श करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जी को बधाई देता हूं।”
The Cabinet has accepted the recommendations of the High-Level Committee on Simultaneous Elections. I compliment our former President, Shri Ram Nath Kovind Ji for spearheading this effort and consulting a wide range of stakeholders.
This is an important step towards making our…
— Narendra Modi (@narendramodi) September 18, 2024
उच्च स्तरीय समिति की सिफारिशें
उल्लेखनीय है कि समिति की रिपोर्ट को विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा बनाया गया था। समिति ने पहले कदम के रूप में लोकसभा और राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराने की सिफारिश की है। इसके बाद 100 दिनों के भीतर स्थानीय निकाय चुनाव कराने का प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही, समिति ने सिफारिशों के क्रियान्वयन के लिए एक ‘कार्यान्वयन समूह’ गठित करने का भी सुझाव दिया है।
कैबिनेट ने किया ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ प्रस्ताव स्वीकार
केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति द्वारा पेश की गई ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ की सिफारिशों को औपचारिक रूप से स्वीकार कर लिया। समिति ने मार्च में अपनी रिपोर्ट सौंपी थी, जिसमें लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले इस पर चर्चा करने की बात कही गई थी। इस निर्णय के बाद राजनीतिक हलकों में चर्चाएं तेज हो गई हैं, और विभिन्न दलों की प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।
‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का उद्देश्य
यह पहल देश में एक साथ लोकसभा, राज्य विधानसभाओं और स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की दिशा में है, जिससे न केवल समय और संसाधनों की बचत होगी, बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रिया में नागरिकों की भागीदारी भी बढ़ेगी।