नई दिल्ली। पश्चिम एशिया में बढ़ते तनाव और बिगड़ते हालात के बीच सोमवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से टेलीफोन पर बातचीत की। इस बातचीत के दौरान पीएम मोदी ने क्षेत्र में शांति और स्थिरता की आवश्यकता पर बल दिया और कहा कि भारत इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने में मदद के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री मोदी ने बातचीत के बाद अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म ‘X’ पर लिखा, “आतंकवाद का हमारी दुनिया में कोई स्थान नहीं है। यह आवश्यक है कि हम क्षेत्रीय तनाव को और अधिक बढ़ने से रोकें और सभी बंधकों की सुरक्षित रिहाई सुनिश्चित करें। शांति और स्थिरता के प्रयासों में भारत हरसंभव सहायता प्रदान करने के लिए तैयार है।”
भारत की संतुलित कूटनीति
भारत लंबे समय से पश्चिम एशिया के हालात पर बारीकी से नजर बनाए हुए है और अपने दीर्घकालिक हितों को ध्यान में रखते हुए दोनों पक्षों से संवाद बनाए रखा है। हाल ही में अमेरिका यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास से भी मुलाकात की थी, जिससे यह साफ होता है कि भारत क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश कर रहा है।
भारतीय नागरिकों और तेल आपूर्ति पर प्रभाव
पश्चिम एशियाई देशों में एक करोड़ से ज्यादा भारतीय नागरिक रहते हैं, और वहां की अस्थिरता भारतीय नागरिकों के लिए गंभीर समस्या पैदा कर सकती है। इसके पूर्व में भी कई बार इस क्षेत्र से भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए भारत को विशेष अभियान चलाने पड़े हैं। इसके अलावा, भारत अपनी जरूरत का 60 प्रतिशत तेल पश्चिम एशिया से आयात करता है, और वहां की अस्थिरता से तेल की कीमतों पर भी दबाव बन सकता है।
क्षेत्रीय शांति के लिए भारत की भूमिका
भारत हमेशा से पश्चिम एशिया में शांति स्थापना और क्षेत्रीय स्थिरता का समर्थन करता रहा है। पीएम मोदी द्वारा इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से हुई बातचीत में भी यह स्पष्ट रूप से झलकता है कि भारत अपने कूटनीतिक प्रयासों के जरिए इस क्षेत्र में शांति और स्थिरता लाने के लिए निरंतर काम कर रहा है।