नई दिल्ली। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अहोम साम्राज्य के सेनापति रहे लचित बोरफुकन की 400वीं जयंती पर आयोजित किए गए कार्यक्रम को संबोधित करते हुए तमाम बातें कहीं। उन्होंने लचित बोरफुकन के बारे में बात करते हुए देश को सही इतिहास की जानकारी देने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि भारत का इतिहास सिर्फ गुलामों का नहीं है। ये इतिहास योद्धाओं का भी है। इसके अलावा पीएम ने कहा कि देश के वीरों का इतिहास दबाया गया है। उन्होंने किसी का नाम तो नहीं लिया, लेकिन उनका इशारा साफतौर पर वामपंथी विचारधारा के इतिहासकारों की ओर ही था। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमें बोरफुकन जी की जयंती मनाने का अवसर ऐसे वक्त में मिला है, जब देश आजादी के 75 वर्ष का जश्न मना रहा है। देशभर में आजादी के अमृत महोत्सव को मनाया जा रहा है ऐसे में प्रधानमंत्री मोदी द्वारा अमृत काल के इस दौर में अहोम राज्य के सेनापति को याद किया जाना बेहद महत्वपूर्ण है।
आपको बता दें कि असम के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि यह ऐतिहासिक आयोजन असम के इतिहास में एक गौरवशाली क्षण है। प्रधानमंत्री ने इस मौके पर गुलामी मानसिकता से बाहर निकलने की भी जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि हमें उपनिवेशनवादी मानसिकता से बाहर निकलना होगा। ऐसे होता है तो फिर हम अपनी महान विरासत के लिए गर्व से भर जाएंगे। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत आज न सिर्फ अपनी सांस्कृतिक विविधता का जश्न मना रहा है बल्कि अपने इतिहास को लेकर भी गर्व का अनुभव कर रहा है। पीएम मोदी ने कहा कि हमें लचित बोरफुकन जैसे योद्धाओं के पदचिह्नों पर चलना होगा, तभी हम अमृतकाल के संकल्पों को पूरा कर सकते हैं।