नई दिल्ली। कोरोना काल में वर्चअल तरीके से राजनीतिक और कूटनीतिक मुलाकातों का दौर जारी है। इसी क्रम में 26 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे से वर्चुअल मुलाकात करेंगे। इस मीटिंग को लेकर पीएम मोदी ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि, वह कोलंबो के साथ द्विपक्षीय संबंधों की समीक्षा को लेकर आशान्वित हैं। इससे पहले महिंदा राजपक्षे ने पीएम मोदी के साथ मीटिंग को लेकर अपनी उत्सुकता जाहिर की थी। इसी के जवाब में पीएम मोदी ने अपनी आशाएं व्यक्त की थी। बता दें कि भारत-चीन के बीच चल रहे तनाव को देखते हुए श्रीलंका के साथ यह बातचीत काफी अहम मानी जा रही है। इससे चीन के संदेश देने में कामयाबी मिलेगी। बता दें कि इस मुलाकात को लेकर श्रीलंका के प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे ने कहा कि दौरान वह बहुआयामी द्विपक्षीय वार्ता की उम्मीद करते हैं जिसमें राजनीति से लेकर अर्थव्यवस्था, रक्षा, पर्यटन और आपसी हित के अन्य क्षेत्र भी शामिल हैं।
उन्होंने कहा कि वह इस वार्ता के दौरान द्विपक्षीय संबंधों को और बेहतर बनाने की दिशा में समीक्षा करेंगे। उनके इस ट्वीट पर मोदी ने उन्हें धन्यवाद देते हुए कहा कि वह भी इस बैठक से द्विपक्षीय रिश्तों को और बेहतर बनाने को लेकर आशान्वित हैं। हमें यह भी देखने की जरूरत है कि कोविड के बाद के समय में किस तरह से आपसी सहयोग को बढ़ाया जाए।
हिंद महासागर में चीन की ताकत बढ़ाने वाली हरकतों के बीच श्रीलंका ने साफ कर दिया है कि वह इस समुद्री क्षेत्र को किसी के शक्ति प्रदर्शन का अड्डा बनाए जाने के विरोध में है। चीन की दिक्कतें बढ़ाने के लिए संयुक्त राष्ट्र में श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने अपने प्री-रिकॉर्डेड भाषण में कहा, हमारी प्राथमिकता ¨हद महासागर क्षेत्र में शांति बनाए रखने की है, जहां कोई देश किसी अन्य पर अपनी बढ़त साबित न कर पाए। श्रीलंका हिंद महासागर क्षेत्र में रणनीतिक महत्व वाले स्थान पर स्थित है। भारत को घेरने के लिए चीन श्रीलंका के इस महत्व के इस्तेमाल की कोशिश में है।
अपनी विदेश नीति को लेकर राजपक्षे ने कहा कि श्रीलंका आने वाले समय में भी अपनी निष्पक्ष विदेश नीति बनाए रखेगा। वह ऐसे किसी देश या समूह की नजदीकी से दूर रहेगा जिससे उसकी निष्पक्षता प्रभावित होती हो। इस समुद्री मार्ग के आर्थिक महत्व के मद्देनजर शक्तिशाली देशों की जिम्मेदारी है कि वे ¨हद महासागर क्षेत्र को शांत, निष्पक्ष और स्वतंत्र आवागमन वाला क्षेत्र बनाए रखने में सहयोग दें। शक्तिशाली देश इस समुद्री क्षेत्र की प्राकृतिक संपदा को भी किसी तरह का नुकसान न खुद पहुंचाएं और न ही नुकसान होने दें।