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Video: ‘जय श्रीराम’ का नारा सुनते ही मंच पर भड़क गईं ममता बनर्जी, कुछ भी बोलने से किया इंकार

Mamta angry

नई दिल्ली। शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती के मौके पर कोलकाता पहुंचे। यहां पीएम मोदी को रिसीव करने और उनका स्वागत करने के लिए कैलाश विजयवर्गीय और स्वपन दास गुप्ता नेताजी भवन पहुंच गए थे। बता दें कि नेताजी को लेकर आयोजित इस कार्यक्रम में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और राज्यपाल जगदीप धनखड़ भी आंमत्रित थे। इस कार्यक्रम के दौरान ममता बनर्जी को गुस्से में देखा गया। दरअसल जब ममता बनर्जी पीएम मोदी से पहले मंच पर बोलने पहुंचीं तो उन्होंने वहां बोलने से इंकार कर दिया। उन्होंने मंच पर पीएम मोदी के सामने ही कहा कि, ‘अगर किसी को आमंत्रित किया जाता है तो उसे इस तरह से अपमानित नहीं करते। इस तरह के सरकारी कार्यक्रम में किसी को बुलाकर इस तरह से बेइज्जत नहीं करते।’ दरअसल जब ममता बनर्जी मंच पर बोलने के लिए जाने लगी तो वहां लोगों ने जय श्रीराम के नारे लगा दिए।

सीएम ममता ने कहा कि, किसी सरकारी कार्यक्रम की कोई मर्यादा होनी चाहिए, ये सरकारी कार्यक्रम है, किसी राजनीतिक पार्टी का कार्यक्रम नहीं है। बता दें कि जय श्रीराम के नारे को सुनकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री काफी नाराज हो गईं और मंच पर जाकर पीएम मोदी के सामने गुस्से में कुछ बोलने से इन्कार कर दिया।

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बता दें कि इस कार्यक्रम में पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि, कोलकाता आकर भावुक महसूस कर रहा हूं। नेताजी को नमन। बचपन से जब भी नेताजी सुभाष चंद्र बोस जी का नाम सुना, मैं किसी भी स्थिति-परिस्थिति में रहा, इस नाम से एक नई ऊर्जा से भर गया। पीएम ने कहा कि आज के ही दिन मां भारती की गोद में उस वीर सपूत ने जन्म लिया था, जिसने आजाद भारत के सपने को नई दिशा दी थी। आज के ही दिन ग़ुलामी के अंधेरे में वो चेतना फूटी थी, जिसने दुनिया की सबसे बड़ी सत्ता के सामने खड़े होकर कहा था, मैं तुमसे आजादी मांगूंगा नहीं, छीन लूंगा।

गौरतलब है कि इससे पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर उन्होंने श्याम बाजार में टीएमसी कार्यकर्ताओं समेत अन्य लोगों ने शंखनाद की ध्वनि के साथ अपने रोड शो की शुरुआत की। वहीं इस रोड शो के बाद ममता बनर्जी ने लोगों को संबोधित करते देश में चार राजधानी बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि भारत में चार रोटेटिंग राजधानियां होनी चाहिए। उनका तर्क था कि जब देश पर अंग्रेजों ने कोलकाता में रहते हुए पूरे देश में राज किया था तो देश में सिर्फ एक राजधानी ही क्यों रहे? उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि, नेताजी सुभाष चंद्र बोस द्वारा गठित आजाद हिंद फौज में हिंदू, मुस्लिम, सिख इसाई हर समुदाय के लोग थे। उनके विचार भारत को एकजुट रखने वाले थे लोगों को बांटने वाले नहीं थे। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने देश पर राज करने के लोगों को बांटने का काम किया था और बांटो और राज करो की नीति अपनाई थी।

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