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प्रधानमंत्री मोदी ने मन की बात में कहा, ‘लॉकडाउन का पालन करें’

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को अपने मासिक रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में लोगों से पूरे देश में लागू लॉकडाउन का पालन करने के लिए कहा, जिसे कोविड-19 से लड़ने के लिए लागू किया गया है। इसके साथ ही उन्होंने वायरस की रोकथाम के लिए ऐसे कठोर कदम उठाने के लिए देशवासियों से माफी भी मांगी। उन्होंने ‘सामाजिक दूरी बढ़ाने और भावनात्मक दूरी घटाने’ पर जोर दिया।

लॉकडाउन के उल्लंघन की घटनाओं का उल्लेख करते हुए मोदी ने कहा कि लॉकडाउन प्रत्येक व्यक्ति और उसके परिवार के सदस्यों की सुरक्षा के लिए है और अगर यह वायरस फैल गया तो इस पर काबू पाना मुश्किल होगा। उन्होंने यह भी कहा, “मुझे यह जानकर बहुत दुख हुआ कि कुछ लोग उन लोगों के साथ दुर्व्यवहार कर रहे हैं, जिन्हें होम क्वारंटीन की सलाह दी जा रही है। हमें संवेदनशील और समझदार होने की जरूरत है।”

पीएम मोदी ने कहा, “सामाजिक दूरी बढ़ाएं, लेकिन भावनात्मक दूरी को कम करें।” कोविड-19 को गंभीरता से नहीं लेने वाले कई देशों का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, “वे इसका खामियाजा भुगत रहे हैं।”

पूरे देश में 21 दिनों के लिए लॉकडाउन जारी करने के बाद प्रधानमंत्री मोदी का देश के प्रति यह पहला ‘मन की बात’ संबोधन है। गौरतलब है कि अब तक भारत में इससे 1000 से अधिक लोग संक्रमित हो चुके है, जबकि 27 लोगों की मौत हो गई है। इसके अलावा उन्होंने देशभर में लॉकडाउन की अचानक घोषणा से उत्पन्न समस्या को लेकर लोगों से माफी भी मांगी और स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि इस वायरस को रोकने का यह एकमात्र उपाय है। उन्होंने कहा, “मैं इन सख्त कदमों के लिए माफी चाहता हूं, जिसकी वजह से आपके जीवन में समस्याएं आ रही हैं, खासकर गरीबों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। मुझे पता है कि आप में से कुछ मुझसे नाराज भी होंगे। लेकिन इस लड़ाई को जीतने के लिए इन सख्त उपायों की जरूरत थी।”


उन्होंने आगे कहा, “कोविड-19 के खिलाफ लड़ाई बहुत कठिन है और इससे भारत के लोगों को सुरक्षित रखने के लिए ऐसे कठोर निर्णय की आवश्यकता थी।” पीएम मोदी ने आगे कहा, “इस संक्रमण को रोकने के लिए मेरे पास लॉकडाउन ही एकमात्र उपाय था।” उन्होंने आगे कहा, “जो लोग यह सोचते हैं कि लॉकडाउन का पालन करके वे दूसरों की मदद कर रहे हैं, वे गलत हैं। वास्तव में वे अपने और अपने परिवार के सदस्यों की जान बचा रहे हैं।”

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