मुंबई। बागेश्वर धाम के प्रमुख धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साईं बाबा के बारे में दिए ताजा बयान से महाराष्ट्र की सियासत गरमा गई है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री इससे पहले महाराष्ट्र के संत तुकाराम के बारे में विवादित बयान देकर निशाना बने थे। जिसके बाद उनको माफी मांगनी पड़ी थी। हालांकि, साईं बाबा के बारे में विवादित बयान देने के मामले में अब तक उन्होंने सफाई नहीं दी है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के साईं बाबा के बारे में वीडियो वायरल हुआ था। इसमें वो कहते दिखे थे कि साईं संत हो सकते हैं, लेकिन भगवान नहीं हो सकते। गीदड़ की खाल पहनकर की शेर नहीं बन जाता। शंकराचार्य जैसा गेटअप कर लें, तो हम शंकराचार्य नहीं बन जाएंगे।
महाराष्ट्र में एआईएमआईएम के सांसद इम्तियाज जलील ने इस मामले में धीरेंद्र कृष्ण पर कार्रवाई की मांग कर दी है। जलील ने कहा कि देश में साईं के करोड़ों भक्त हैं। उनके बारे में इस तरह के अपमानजनक शब्दों के इस्तेमाल से बचना चाहिए। जलील ने कहा कि इन बाबाओं का अंजाम क्या होता है, ये सब जानते हैं। दूसरी तरफ एनसीपी के नेता जीतेंद्र आव्हाड ने भी धीरेंद्र कृष्ण के बयान पर एकनाथ शिंदे सरकार से जवाब मांगा है। आव्हाड ने कहा कि महाराष्ट्र आकर महापुरुषों को अपमानित करने का न्योता लगातार दिया जा रहा है। जिन लोगों ने बागेश्वर धाम के पीठाधीश्वर को बुलाया था, वे अब साईं बाबा के बारे में अपना रुख साफ करें।
उधर, उद्धव ठाकरे गुट के युवा नेता राहुल कनल ने धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर केस दर्ज करने की मांग की है। राहुल कनल ने मुंबई के बांद्रा थाने में इस बारे में शिकायती चिट्ठी दी है। धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की तरफ से जब संत तुकाराम के बारे में विवादित बयान दिया गया था, तब भी उद्धव ठाकरे गुट की तरफ से तीखी प्रतिक्रिया आई थी।
दरअसल, धीरेंद्र कृष्ण के साईं बाबा के बारे में दिए गए विवादित बयान पर एकनाथ शिंदे सरकार या सत्तारूढ़ गठबंधन की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है। महाराष्ट्र में भी साईं के करोड़ों भक्त हैं। शिरडी और अन्य जगह साईं भक्तों ने धीरेंद्र कृष्ण के बयान से नाराजगी जताते हुए माफी की मांग की है। उनका कहना है कि साईं बाबा भगवान हैं या नहीं, इसके लिए किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है। ऐसे में विपक्ष को धीरेंद्र कृष्ण के ताजा बयान से शिवसेना-बीजेपी गठबंधन पर निशाना साधने का मौका मिल गया है। इससे पहले संत तुकाराम पर विवादित बोल के मामले में भी सरकार को विपक्ष ने घेरा था।