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Batenge Toh Katenge Slogan Of Yogi Adityanath: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में गूजा ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ का योगी आदित्यनाथ का नारा, मुंबई में जगह-जगह लगे पोस्टर

मुंबई। यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के चेहरे ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में दस्तक दी है। योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों एक अहम बात कही थी। योगी आदित्यनाथ की इसी अहम बात को दर्शाने वाले पोस्टर मुंबई के कई इलाकों में लगाए गए हैं। योगी आदित्यनाथ ने बीते दिनों एक जनसभा में हिंदू समुदाय का आह्वान किया था। उन्होंने हिंदू समुदाय के लिए अहम बयान दिया था। योगी ने कहा था कि ‘बंटेंगे तो कटेंगे’। योगी आदित्यनाथ की फोटो के साथ इसी बयान के पोस्टर अब महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में इस्तेमाल किए जा रहे हैं।

यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने बंटेंगे तो कटेंगे वाले बयान के साथ ये भी कहा था कि एक रहेंगे, तो नेक रहेंगे, सुरक्षित रहेंगे। मुंबई में जो पोस्टर लगाए गए हैं, उनमें भी योगी आदित्यनाथ का ये बयान लिखा गया है। जानकारी के मुताबिक योगी आदित्यनाथ के बंटेंगे तो कटेंगे वाले बयान के पोस्टर मुंबई की अहम जगह लगाए गए हैं। खास बात ये भी है कि योगी के बंटेंगे तो कटेंगे के बयान के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने भी अपनी एक जनसंख्या में यही बात कही थी। मोदी ने भी लोगों से एकजुट होने के लिए कहा था। महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी की तरफ से प्रचार के लिए योगी आदित्यनाथ को भी मैदान में उतारे जाने की संभावना है। माना जा रहा है कि योगी एक बार फिर बंटेंगे तो कटेंगे का नारा बुलंद कर महायुति गठबंधन के लिए वोट मांगेंगे। योगी आदित्यनाथ लगातारी बीजेपी के लिए चुनावों में प्रचार करते रहे हैं। योगी ने जितनी भी सीटों पर प्रचार किया, उनमें से ज्यादातर बीजेपी के पाले में गिरती रही हैं।

महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के लिए 20 नवंबर को वोटिंग होनी है। वोटों की गिनती 23 नवंबर को होगी। यहां एक तरफ बीजेपी, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और अजित पवार के एनसीपी गुट की महायुति है। वहीं, उसे कांग्रेस, उद्धव ठाकरे की शिवसेना-यूबीटी और शरद पवार के एनसीपी गुट की महाविकास अघाड़ी चुनौती देने जा रही है। समाजवादी पार्टी, एआईएमआईएम वगैरा भी मैदान में उतरने जा रहे हैं। 2019 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में बीजेपी और उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली अविभाजित शिवसेना ने मिलकर चुनाव लड़ा था। नतीजे आने के बाद इस गठबंधन को सबसे ज्यादा सीटें मिली थीं, लेकिन सीएम बनने के लिए उद्धव ने जिद पकड़ी और नतीजे में बीजेपी से उनका नाता टूट गया। फिर उद्धव कांग्रेस और शरद पवार की मदद से सीएम तो बने, लेकिन फिर शिवसेना और एनसीपी में टूट हो गई।

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