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Prashant Kishor: चुनावी रणनीतिकार के तौर पर प्रशांत किशोर का खड़ा किया गया फर्जी हौव्वा, वरिष्ठ पत्रकार ने यूं खोली पोल

prashant kishor

नई दिल्ली। प्रशांत किशोर यानी पीके। वही पीके, जिनके बारे में दावा किया जाता है कि जिस पार्टी से वह जुड़ जाते हैं, उसे चुनाव जितवाकर रहते हैं, लेकिन वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह का कहना है कि पीके को राजनीति का रणनीतिकार के तौर पर प्रोजेक्ट करने का सिर्फ हौव्वा खड़ा किया गया है। प्रदीप सिंह ने तथ्यों के जरिए पीके के पक्ष में फुलाए गए गुब्बारे की हवा एक वीडियो जारी कर निकाल दी है। प्रदीप सिंह ने यह सवाल भी उठाया है कि क्या प्रशांत किशोर बीजेपी के जासूस हैं ? कई बड़े संस्थानों में वरिष्ठ पदों पर रह चुके प्रदीप सिंह नामचीन पत्रकार हैं। आजकल वह यूट्यूब पर ‘आपका खबर’ नाम से चैनल चलाते हैं। प्रदीप ने ताजा वीडियो जारी कर चुनावी रणनीतिकार के तौर पर चर्चा में आए प्रशांत किशोर के कामकाज की परतें उघाड़ दी हैं।


प्रदीप सिंह ने अपने वीडियो में सिलसिलेवार तरीके से प्रशांत किशोर के अब तक के कामकाज का हवाला दिया है। उन्होंने बताया है कि किस तरह 2012-13 से पीके, नरेंद्र मोदी से जुड़े। फिर किस तरह मोदी ने 2014 जीता, तो उसका सेहरा अपने सिर बांध लिया। फिर 2015 में बीजेपी से खफा नीतीश कुमार से मिले और वहां कामकाज चलाया। प्रदीप सिंह ने वीडियो में दावा किया है कि नीतीश कुमार ने भले ही पीके को साथ रखा, लेकिन उनसे चंद नारे लिखवाए और लालू प्रसाद की आरजेडी से सीटों के तालमेल के लिए उनका काम लिया। वरिष्ठ पत्रकार ने अपने वीडियो में बताया है कि जब नीतीश फिर बीजेपी के साथ आए, तो प्रशांत किशोर को इसकी हवा तक नहीं लगने दी थी।

साल 2017 में प्रशांत किशोर कांग्रेस के साथ थे। प्रदीप सिंह के मुताबिक उन्होंने पार्टी आलाकमान को भरोसा दिलाया था कि वह कांग्रेस की सरकार बनवा देंगे, लेकिन 7 सीटें लाकर कांग्रेस की दुर्गति हो गई। इसी तरह पंजाब के लिए उनका कहना है कि पीके के करिश्मे से वहां कांग्रेस की सरकार नहीं बनी। सरकार इसलिए बनी क्योंकि पंजाब के लोग अकालियों से नाराज थे।

प्रदीप सिंह ने अपने वीडियो में प्रवीण चक्रवर्ती का भी जिक्र किया है। प्रवीण भी प्रशांत किशोर की तरह डेटा एनालिटिक हैं। साल 2019 में प्रवीण ने कांग्रेस का दामन थामा। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस को राफेल का राग गाने से 165 से 184 सीटें मिल जाएंगी। प्रदीप के मुताबिक प्रवीण के कहने पर ही लोकसभा चुनाव से पहले से राहुल गांधी राफेल का राग गाने लगे, लेकिन इसका कोई फायदा नहीं हुआ और कांग्रेस में चर्चा चली कि प्रवीण, बीजेपी के जासूस हैं। जिसके नतीजे में प्रवीण साइडलाइन कर दिए गए।

प्रदीप सिंह का कहना है कि प्रशांत किशोर लगातार मोदी से संपर्क में रहते हैं। यह बात पीके ने खुद मानी है। उनका कहना है कि प्रशांत ने 2019 में मोदी से पीएमओ में काम करने की इच्छा जताई। मोदी ने उन्हें संगठन में जाने को कहा। इस पर प्रशांत ने अमित शाह से मुलाकात की। शाह ने उन्हें बीजेपी का राष्ट्रीय सचिव बनाने का ऑफर दिया, लेकिन पीके महासचिव बनना चाहते थे और पार्टी दफ्तर में शाह के बगल वाला कमरा भी चाह रहे थे। ऐसे में उनकी बात नहीं बनी। वरिष्ठ पत्रकार प्रदीप सिंह का कहना है कि ऐसे में यह सवाल प्रशांत किशोर के बारे में भी उठता है कि कहीं वह भी तो बीजेपी के जासूस नहीं हैं ?

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