नई दिल्ली। उत्तराखंड के जोशीमठ में दरकती दीवारों ने लोगों को अपना घर, अपनी गलियां, अपनी दुनिया, अपने लोगों को छोड़ने पर मजबूर कर दिया है। नम आंखों से लोग अपनी बेशुमार यादों को समेटकर अपना आसियाना छोड़कर बेगाने शहर की रूख कर रहे हैं। आसान नहीं है, उनके लिए उन गलियों, चौबारों और घरों को छोड़ना, जहां उनका पूरा जीवन बीता हो, लेकिन अब इसे कुदरत का कहर कहे या इंसानी खता की उनके घरों की दरकती दीवारों ने उन्हें वहां से रूखसत होने पर मजबूर कर दिया है।
शासन की तरफ से 600 से भी अधिक मकानों को जमींदोज करने का फरमान जारी किया जा चुका है, लेकिन जोशीमठ के लोगों का अपनी मातृभूमि से लगाव देखिए कि उन्होंने भी दो टूक कह दिया कि अगर हमारे मकानों पर बुलडोजर चलाया गया, तो हम आत्मदाह कर लेंगे। यह आपके लिए हमारी दरकती दीवारों का मकां हो सकता है, लेकिन जोशीमठ के लोगों के लिए यह उनके सपनों का आशियाना है, लेकिन अब मजबूरी देखिए यह आशियाना दरक रहा है।
वहीं, सीएम धामी लगातार जोशमीठ का दौरा कर रहे हैं। शासन की तरफ से दरकते मकानों को चिन्हित करने का सिलसिला जारी है। दरकते घरों को तीन वर्गों में विभाजित किया गया है, जिसमें ‘डेंजर’, ‘बफर’ और ‘कंप्लीटली सेफ शामिल है।’ रोडमैप तैयार किया जा चुका है। उधर, इस मसले को लेकर राजनीति भी जारी है, जिस पर सीएम धामी दो टूक कह चुके हैं कि यह समय राजनीति करने का नहीं बल्कि, जोशीमठ को बचाने का है।
वहीं, आज इस पर सीएम धामी का बयान सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा कि हमने सभी लोगों से अनुरोध किया है कि यह समय सभी को जोशीमठ को बचाने का है। सब लोग एक टीम के रूप में काम करें। हम सभी लोगों की पहली प्राथमिकता है कि हम जोशीमठ शहर को बचाए। लोगों को जान माल को बचाए जाए। मैंने खुद सभी लोगों से व्यक्तिगत रूप से मिलकर यही अनुरोध किया है।
उन्होंने आगे कहा कि जो लोग खतरे की जद में आने वाले थे, उन सभी लोगों को एक जगह पर शिफ्ट किया गया है। वहीं, वे लोग खतरे के मकानों में रह रहे हैं, उन सभी दूसरी जगह शिफ्ट करने की तैयारी की जा रही है। बता दें कि इससे पहले भी सीएम धामी खुद मीडिया के सामने आकर लोगों से जोशीमठ मसले पर राजनीति करने की जगह एक साथ मिलकर काम करने की अपील कर चुके हैं।