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Vijay Diwas : विजय दिवस पर आयोजित हुए एक कार्यक्रम में राष्ट्रपति मुर्मू और पीएम मोदी ने लिया हिस्सा, रक्षामंत्री राजनाथ सिंह भी पहुंचे

Vijay Diwas : पीएम मोदी ने एक ट्वीट में लिखा, ‘‘विजय दिवस पर, मैं उन सभी बहादुर सशस्त्र बलों के कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने 1971 के युद्ध में भारत की एक असाधारण जीत सुनिश्चित की। देश को सुरक्षित रखने में सशस्त्र बलों की भूमिका के लिए देश उनका ऋणी रहेगा।’’

नई दिल्ली। आज देश भर में बड़े धूमधाम से विजय दिवस मनाया जा रहा है भारत की पाकिस्तान पर बड़ी जीत का यह दिन भारत और बांग्लादेश दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को विजय दिवस के अवसर पर 1971 के युद्ध में पाकिस् तान पर भारत की जीत सुनिश्चित करने में उल्लेखनीय भूमिका निभाने वाले सशस्त्र बल के कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की और कहा कि देश हमेशा उनका कर्जदार रहेगा।

आपको बता दें कि पीएम मोदी ने एक ट्वीट में लिखा, ‘‘विजय दिवस पर, मैं उन सभी बहादुर सशस्त्र बलों के कर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं जिन्होंने 1971 के युद्ध में भारत की एक असाधारण जीत सुनिश्चित की। देश को सुरक्षित रखने में सशस्त्र बलों की भूमिका के लिए देश उनका ऋणी रहेगा।’’

इसके अलावा रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और सीडीएस जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे, वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल वीआर चौधरी और भारतीय नौसेना के उप प्रमुख वाइस एडमिरल एसएन घोरमडे ने विजय दिवस 2022 के अवसर पर राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया।

वहीं दूसरी तरफ पूर्वी सेना कमान मुख्यालय की ओर से 51वें विजय दिवस समारोह के हिस्से के रूप में गुरुवार को कोलकाता में आयोजित कार्यक्रम में सेना के जांबाजों ने हैरतअंगेज प्रदर्शन कर अपने शौर्य व क्षमता का परिचय दिया। यहां रॉयल कलकत्ता टर्फ क्लब (आरसीटीसी) ग्राउंड में आयोजित भव्य मिलिट्री टैटू के फाइनल शो के दौरान हेलीकाप्टर शो, घोड़ा दौड़, डाग शो, मार्च पास्ट, मोटरसाइकिल करतब आदि का प्रदर्शन कर 1971 के पराक्रमी योद्धाओं को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

आपको जानकारी के लिए बता दें कि इंदिरा गांधी की सरकार में वर्ष 1971 में पकिस्तान पर भारत की विजय की याद में आज के दिन विजय दिवस मनाया जाता है। इस दिन वर्ष 1971 में पाकिस्तानी सेनाध् यक्ष जनरल आमिर अब्दुल्ला खान नियाजी ने अपने 93 हजार सैनिकों के साथ बिना किसी शर्त के लेफ्टीनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा के समक्ष युद्ध में सरेंडर किया था।

 

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