News Room Post

Rahul In Dock: अपने परदादा की गलतियों का ठीकरा मोदी सरकार पर फोड़ घिरे राहुल, ट्विटर पर ट्रेंड हुआ #Pappu

rahul gandhi comment

नई दिल्ली। संसद में पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधकर राहुल गांधी खुद घिर गए हैं। एक तरफ विदेश मंत्री एस. जयशंकर समेत कई मंत्रियों ने उन्हें इतिहास की याद दिलाई है। वहीं, उनके समर्थक भी बयान का समर्थन नहीं कर रहे हैं। राहुल गांधी ने कल लोकसभा में दावा किया था कि मोदी सरकार की नीतियों की वजह से चीन और पाकिस्तान करीब आ गए हैं। उन्होंने गणतंत्र दिवस पर कोई मेहमान न मिल पाने का दावा करते हुए मोदी सरकार की अंतरराष्ट्रीय जगत में साख पर भी सवाल खड़ा किया था। इसके बाद विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने राहुल के ज्ञान को दुरुस्त करने के लिए ट्वीट्स का सिलसिला शुरू किया। कई मंत्री भी राहुल पर हमलावर हुए। ऐसे में सोशल मीडिया पर भी राहुल को लपेटने का सिलसिला चल पड़ा और #nehru, #rahulऔर #Pappu भी ट्विटर पर ट्रेंड हो गए।

राहुल गांधी ने कल अपने भाषण में कहा था कि बीजेपी उन मुद्दों से भी खिलवाड़ कर रही है जिसकी उसे समझ नहीं है। उनकी नीतियों ने हमारे दुश्मनों को एकजुट कर दिया है। खतरा सिर पर है। भारत अलग-थलग पड़ गया है और चौतरफा घिर गया है। इसके जवाब में विदेश मंत्री जयशंकर ने राहुल को इतिहास की याद दिलाई और बताया कि चीन और पाकिस्तान के बीच रिश्ते अभी करीब नहीं हुए हैं। इतिहास कहता है कि 1954 में भारत ने तिब्बत पर चीन के कब्जे को आधिकारिक स्वीकृति दे दी और चीन के साथ पंचशील समझौते पर दस्तखत कर दिया। लेकिन चीन ने 1956 में अक्साई चिन में सड़कें बनवानी शुरू कर दीं। तब के पीएम नेहरू इस पर चुप रहे। 1958 में चीन ने अपने नक्शे में भारत के इलाकों को भी दिखा दिया। इसके बाद कांग्रेस के भीतर नेहरू की चीन नीति पर सवाल उठे। नेहरू ने इस पर कह दिया कि जिन इलाकों की बात हो रही है, वहां घास का तिनका तक नहीं उगता है। कांग्रेस के महावीर त्यागी ने अपना सिर दिखाकर कहा कि मैं गंजा हूं तो क्या अपना सिर कटा दूं। पाकिस्तान ने इसके बाद पीओके के कब्जे वाले इलाके का एक हिस्सा भी चीन को दिया। जिसपर होकर चीन ने कराकोरम हाइवे बना डाला। ये भी चीन-पाक गठजोड़ का इतिहास है। विदेश मंत्री ने अपने ट्वीट्स में यही इतिहास राहुल को बताया। जयशंकर ने लिखा कि 1963 में पाकिस्तान ने शक्सगाम घाटी चीन को सौंपी। दोनों देशों के बीच 1970 के दशक से घनिष्ठ परमाणु सहयोग भी रहा है। 2013 में चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा शुरू हुआ। तो आप आत्ममंथन करें कि क्या चीन और पाकिस्तान तब दूर थे? जयशंकर ने ये भी लिखा कि राहुल गांधी ने कहा कि हमें गणतंत्र दिवस के लिए कोई विदेशी अतिथि नहीं मिला। भारत में रहने वाले जानते हैं कि हम कोरोना की लहर का सामना कर रहे हैं। जिन पांच मध्य एशियाई देशों के राष्ट्रपतियों को आना था उन्होंने 27 जनवरी को वर्चुअल शिखर सम्मेलन किया। क्या राहुल गांधी इसे भी भूल गए हैं? जयशंकर के बाद संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी और राजीव चंद्रशेखर ने भी राहुल को घेरा। प्रह्लाद जोशी ने राहुल को भ्रमित और बेदिमागी नेता बताया। प्रह्लाद जोशी ने कहा कि क्या राहुल संसद में चीन का समर्थन करने आए हैं। जोशी ने ट्वीट भी किया और लिखा कि क्या यह अज्ञानता है या फिर राहुल गांधी का सोचा-समझा अंधापन? क्या मिस्टर गांधी भारत सरकार को बताए बिना चीनी मंत्री के साथ अपनी मीटिंग पर सफाई दे सकेंगे।

मोदी सरकार के इलेक्ट्रॉनिक्स और टेक्नोलॉजी के राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने भी ट्वीट कर राहुल पर निशाना साधा। उन्होंने लिखा कि मैं उनमें हूं, जिनके पास महान कांग्रेसी विद्वान राहुल को सुनने के सिवा कोई विकल्प नहीं था और अगर आप यह सोचकर अपना सिर खुजला रहे हों कि वो इस तरह क्यों बड़बड़ाते हैं, तो आपको डनिंग क्रुगर इफेक्ट की समझना चाहिए। इस इफेक्ट के बारे में भी चंद्रशेखर ने लिखा। उन्होंने लिखा कि डनिंग क्रुगर आत्ममुग्धता की वो हालत है, जिसमें व्यक्ति खुद को वास्तविकता से अधिक होशियार और सक्षम समझने लगता है। उधर, इस मामले में राहुल अपने समर्थकों के सवालों के घेरे में भी आए। मोदी सरकार के आलोचक और कांग्रेस का आए दिन समर्थन करने वाले सदानंद धुमे ने ट्वीट किया कि अगर नेहरू और गांधी ने इस तरह की राजनीतिक वंशावली स्थापित नहीं की होती, जिसमें राजनीतिक शक्ति जन्म की जगह योग्यता पर आधारित होती, तो सरकार को सबक सिखाया जा सकता था। उन्होंने लिखा कि देश इस वंशवादी राजनीति की कीमत चुका रहा है।

Exit mobile version