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वहीं हुआ…जिसका था डर…मंत्रियों के शपथ लेने के बाद अब इस मुद्दे को लेकर उभरा गहलोत कैबिनेट में विवाद

sachin pilot

नई दिल्ली। राजस्थान कैबिनेट में हुई फेरबदल से इतना तो साफ हो चुका है कि विवाद और सियासत का चोली दामन का साथ रहता है। अगर दोनों में से किसी एक को भी अलहदा कर दिया जाए, तो शयाद सियासत की गाड़ी बेपटरी हो जाएगी। अगर आपको यकीन ना हो रहा है, तो आप खुद ही राजस्थान सरकार में हुए हालिया फेरबदल को देख लीजिए। अभी गहलोत सरकार में कैबिनेट में फेरबदल को लेकर 24 घंटे भी नहीं हुए कि विवाद उभरकर सामने आ गया है। इस बार विवाद की वजह अशोक गहलोत या सचिन पायलट नहीं, बल्कि मंत्रिमंडल में शामिल होने वाले मंत्रिगण खुद हैं। दरअसल, मंत्रिमंडल में शपथ लेने वाले मंत्रियों के बीच अब मनपसंद विभागों का प्रभार लेने की जद्दोजहद साफ झलक रही है, लेकिन केंद्रीय नेतृत्व की पूर्व निर्धारित रूपरेखा के अनरूप मंत्रियों को विभागों का आवंटन करना चाहते हैं, लेकिन इस रूपरेखा को अपने हितों पर कुठाराघात समझते हुए अब मंत्रियों के मध्य विवादों की बयार बहती हुई नजर आ रही है। सभी मंत्रिगण अपना मनपसंद विभाग लेने के लिए प्रदेश केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव बना रहे हैं, लेकिन प्रदेश केंद्रीय नेतृत्व की तरफ से किसी भी प्रकार से नरम रवैये के संकेत मिलते नहीं दिख रहे हैं।

विदित है कि जैसा कि कल केंद्रीय मंत्रिमंडल के फेरबदल के दौरान सचिन पायलट ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा था कि पार्टी में हालात पूरी तरह से दुरूस्त हैं। पार्टी में किसी भी तरह से दलबंदी या गुटबाजी की कोई जगह नहीं है, लेकिन पार्टी में जिस तरह की स्थिति वर्तमान में देखने को मिल रही है, उससे यह साफ जाहिर होता है कि हालात वर्तमान में दुरूस्त नहीं हैं। बहरहाल, बीते दिनों की घटनाओं से सबक लेते हुए राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष अजय माकन ने पार्टी के केंद्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल से मुखातिब होने के लिए दिल्ली पहुंचे हैं। माना जा रहा है कि आज उनसे मंत्रियों के मध्य विभागों का बंटवारा करने हेतु विचार-विमर्श के दौरान अंतिम फैसला लिया जा सकता है। खैर, अब आगे इस मुलाकात का क्या नतीजा रहता है। किस मंत्री को कौन-सा मंत्रालय मिलता है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा। वहीं, सचिन पायलट के करीबी विधायक बृजेंद्र सिंह ओला ने राज्य मंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन कुछ ही देर बाद उन्होंने ये शिकायत दर्ज कराई कि वो चार बार के विधायक हैं, फिर भी उन्हें राज्य मंत्री बनाया गया, जबकि दो बार के विधायकों को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है।

2023 का भी किया था जिक्र

2018 के विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करने के बाद अब पार्टी आगामी 2023 के चुनाव में जीत दर्ज करने हेतु तैयारियों में जुट चुकी है। अशोक गहलोत ने कल मंत्रिमंडल में फेरबदल के दौरान मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा था कि उनकी पार्टी अब अगले चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए पूरी तैयार है। उन्होंने कहा कि बीते सालों में उनकी पार्टी में प्रदेश की जनता के हित के लिए काम किया है, जिससे उन्हें पूरा विश्वास है कि आन वाले दिनों में भी उनकी पार्टी जीत हासिल करने में जरूर सफल रहेगी।

गहलोत और पायलट के बीच तनाव

वहीं, गहलोत और पायलट के बीच का तनाव हम सभी ने देखा है। सियासी पंडितों ने पूरा आकलन कर लिया था कि इन दोनों ही नेताओं  के बीच के वैमनस्यता का कैसा असर आगामी चुनाव में देखने को मिल सकता है। लिहाजा स्थितियों की गंभीरता को ध्यान में रखते हुए पार्टी के केंद्रीय नेतृत्व ने दोनों नेताओं के बीच तनाव पर विराम लगाने की दिशा में पूरी कोशिश की, लेकिन इस बीच कल जिस तरह कल सचिन पायलट ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में पार्टी में सब कुछ दुरूस्त होने के संकेत दिए हैं, उससे माना जा रहा है कि अभी हालात दुरूस्त है, लेकिन अब एक बार फिर से जिस तरर मंत्रियों के बीच मंत्रालय के आवंटन को लेकर खींचतान देखने को मिल रही है, उससे कहीं ना कहीं दबी जुबां से ही लेकिन विरोध के स्वर देखने को मिल रहे हैं। अब आगे चलकर पार्टी और सरकार के बीच की स्थिति क्या रूख अख्तियार करती है। यह तो फिलहाल आने वाला वक्त ही बताएगा।

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