नई दिल्ली। शनिवार को राज्यसभा (Rajya Sabha) में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी (सेकंड एमेंडमेंट) 2020 विधेयक पास हो गया है। वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) ने इस विधेयक को राज्यसभा में आज पेश किया। विधेयक का प्रस्ताव लाते हुए सीतारमण ने बताया कि जून के पहले सप्ताह में ही इसे लेकर एक अध्यादेश जारी किया गया था। मौजूदा महामारी में लोगों की जान बचाने के लिए लॉकडाउन (Lockdown) का फैसला लिया गया था। ऐसे में स्वाभिवक रूप से कारोबार को नुकसान हुआ है। इसके परिणामस्वरूप बाजार पर भी असर पड़ेगा और अर्थव्यवस्था को नुकसान होगा। ऐसे में कंपनियों के काम करने के तरीके में आने वाले बाधा को भी ध्यान में रखना होगा। ऐसी स्थिति में कंपनियों पर दिवालिया होने का खतरा बढ़ जाता है। साथ ही रिजॉल्युशन प्रोफेशन्लस को बड़े स्तर पर समस्या होगी। यही कारण है कि इस कोड के सेक्शन 7, 9 और 10 को सस्पेंड कर दिया जाए।
Watch Live: Smt @nsitharaman replies to the debate on the Insolvency and Bankruptcy Code (Second Amendment) Bill, 2020 in Rajya Sabha. https://t.co/TZ6dChgANz
— NSitharamanOffice (@nsitharamanoffc) September 19, 2020
बता दें कि इसी साल जून में ही केंद्र सरकार ने एक अध्यादेश (Ordinance) के जरिए इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC – Insolvency and Bankruptcy Code) में बदलाव किया था। इस संसोधन के बाद कोविड-19 महामारी की वजह से जिन कंपनियों ने डिफॉल्ट किया है, उन्हें उनके लेंडर्स (कर्ज़ देने वाले बैंक या कंपनी) IBC (कोर्ट) में नहीं घसीट सकते हैं। सरकार ने ऑर्डिनेंस के जरिए IBC के सेक्शन 7, 9 और 10 को फिलहाल सस्पेंड कर दिया है।
राज्यसभा में इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (सेकंड एमेंडमेंट) बिल, 2020 पारित किया गया। pic.twitter.com/sjx9gSQnRH
— ANI_HindiNews (@AHindinews) September 19, 2020
अगर आसान भाषा में समझें तो अपना कारोबार चलाने के लिए बैंक से कर्ज लिया है और लोन नहीं चुकाने की वजह से अगर आपको डर है कि कहीं आप पर आईबीसी के तहत कार्रवाई न हो जाए तो इसका इंतजाम कर दिया गया है। केंद्र सरकार ने दिवाला से संबंधित एक नए अध्यादेश को लागू करने की मंजूरी दे दी है। इंसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड के अंतर्गत कर्ज न चुकाने वाले बकाएदारों से निर्धारित समय के अंदर कर्ज वापसी के प्रयास किए जाते हैं। इस कोशिश से बैंकों की आर्थिक स्थिति में कुछ हद तक सुधार जरूर हुआ है।