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Farmers Protest: किसानों को भड़का रहे राकेश टिकैत, फिर से दे रहे दिल्ली में घुसकर बैरिकेड तोड़ने का निमंत्रण

Rakesh Tikait

नई दिल्ली। दिल्ली की सीमा को घेरकर कृषि कानूनों के खिलाफ बैठे किसान आंदोलन तो कर ही रहे हैं। लेकिन मंच से इस आंदोलन को गैर राजनीतिक बताते-बताते कब यह आंदोलन राजनीतिक रंग ले गया किसी को पता भी नहीं चला। ऊपर से इस आंदोलन को मिल रहे विदेशी समर्थन ने भी इस बात को साबित कर दिया कि आंदोलन का वास्तविक स्वरूप और हकीकत कुछ और है। साफ हो गया है कि आंदोलन बाहरी ताकतों और भारत के खिलाफ साजिश रचने वालों के द्वारा वित्तपोषित किया जा रहा है। जिस तरह इस आंदोलन के दौरान लाल किले की हिंसा की घटना घटी उसने पूरी दुनिया में भारत को शर्मसार कर दिया। लेकिन तब भी ये आंदोलन जारी है। जबकि सरकार इन तीनों कृषि कानून में संशोधन इन कानूनों को डेढ़ साल तक स्थगित करने और MSP पर लिखित में देने के लिए तैयार है। लेकिन किसान नेता इस बात पर अड़े हैं कि वह इन तीनों कृषि कानूनों को पहले खारिज कराएंगे। MSP पर कानून बनवाएंगे और फिर आंदोलन को खत्म करेंगे।

अब किसान नेता उन राज्यों में जा रहे हैं जहां विधानसभा चुनाव होना है और वहां की जनता से भाजपा के पक्ष में मतदान नहीं करने की अपील कर रहे हैं। तो वहीं किसान नेता राकेश टिकैत कर्नाटक जहां भाजपा की सरकार है वहां पहुंचकर किसानों से अपील कर रहे हैं कि वह दिल्ली की तरह ही बेंगलुरु की सीमा को घेरकर बैठ जाएं। इन सब बातों से साफ पता चल रहा है कि यह किसान आंदोलन पूरी तरह से राजनैतिक रंग ले चुका है।

वहीं इसके साथ ही किसान नेता राकेश टिकैत ने राजस्थान के जयपुर में एक किसान पंचायत की। यहां उन्होंने जो बयान दिया उससे साफ पता चल रहा है कि वह एक बार फिर लाल किले जैसी हिंसा की आग में दिल्ली को झोंकने की तैयारी कर चुके हैं।

राकेश टिकैत ने यहां मंच से विवादित बयान देते हुए कहा कि सरकार मान नहीं रही है। ऐसे में विकल्प है नहीं इसलिए एक बार फिर से उन्हें राष्ट्रीय राजधानी की सीमा में प्रवेश करना होगा और बैरिकेड को फिर से तोड़ना होगा। फिर से दिल्ली में घुसना पड़ेगा। आपको अपना ट्रैक्टर फिर दिल्ली की तरफ चलना पड़ेगा। दिल्ली की बैरिकेडिंग को फिर तोड़ना पड़ेगा। ऐसे ये सरकार मानने वाली नहीं है। संयुक्त किसान मोर्चा जिस दिन तारीख देगा आपको तैयार रहना पड़ेगा। साढ़े तीन लाख ट्रैक्टर पहले गए दिल्ली के अंदर फिर ट्रैक्टर जाएंगे। आप तैयार रहिए। आपकी जिम्मेदारी है कि आप राजस्थान की तरफ से दिल्ली को घेरो। खासकर युवाओं को तैयार रहने की जरूरत है। मतलब साफ है कि राकेश टिकैत यह मानते हैं कि दिल्ली में 26 जनवरी को बैरिकेड तोड़कर जो ट्रैक्टर घुसे उसकी जानकारी टिकैत को थी। इसीलिए वह ऐसे दावे कर रहे हैं। एक बार फिर टिकैत दिल्ली को इसी तरह की आग में झुलसाने की कोशिश में लग गए हैं।

इसके साथ ही राकेश टिकैत ने कहा कि अनाज कहीं भी बेच सकते हैं पीएम मोदी ने कहा है तो इसके लिए सबसे अच्छी मंडी संसद भवन है। ऐसे में हम संसद भवन के बाहर जाकर अपना अनाज बेचेंगे। सभी राज्य की विधानसभाओं, कलेक्टर ऑफिस में भी अपनी फसलें बेचकर हम इसे साबित कर देंगे। इससे पहले भी सरकार को राकेश टिकैत कई बार चैलेंज कर चुके हैं। इन किसान नेताओं की जिद्द का ही नतीजा था कि 26 जनवरी को दिल्ली की सड़कों पर कोहराम मचा और यह किस तरह से पूर्व नियोजित था इसकी पोल ग्रेटा थनबर्ग के द्वारा ट्वीट के जरिए डाली गई टूलकिट्स से पता चल गया था।

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