नई दिल्ली। डेरा सच्चा सौदा प्रमुख राम रहीम को 40 दिनों की पैरोल मिली है। उसे यह पैरोल हरियाणा के आमदपुर और पंचायत चुनाव के मद्देनजर नजर दी गई है। इससे पूर्व उसे विगत पंजाब विधानसभा चुनाव के दौरन भी 21 दिनों की पैरोल दी गई थी। जिसके बाद उसके पास विधिक रूप से सिर्फ और सिर्फ 40 दिनों की पैरोल ही शेष रह गई थी, जो कि अब पूरी हो चुकी है। अब उसे भविष्य में कोई पैरोल नहीं मिलेगी। बता दें कि इस बार पैरोल पर सलाखों से बाहर आया राम रहीम अपने अनुयायियों से मुखातिब हुआ और आगामी चुनावी सरगर्मियों को ध्यान में रखते हुए कई सारगर्भित संदेश भी प्रेषित किए जिसके अभी कई मायने निकाले जा रहे हैं। आइए, आगे आपको विस्तार से बताते हैं कि आखिर उन्होंने अपने अनुयायियों को प्रेषित किए गए संदेश में क्या कुछ कहा है।
बाबा राम रहीम ने अपने समर्थकों से आगामी उपचुनाव और पंचायत चुनाव को ध्यान में रखते हुए कहा कि आपको जैसा बोला है, वैसा आप लगो करते रहिए, बाकी तो आपको जिम्मेदार लोग सबकुछ बताएंगे ही। किसी भी प्रकार की मनमर्जी से बचना है। बता दें कि बाबा राम रहीम सुनरिया जेल से बाहर आने के बाद सीधा उत्तर प्रदेश के बागपत स्थित अपना आश्रम पहुंचा, जहा अपने समर्थकों से प्रत्यक्ष तौर पर मुखातिब हुआ। इस बार बाबा राम रहीम जेल के बाहर दिवाली मनाने जा रहा है, जिसकी खुशी उसके चेहरे पर साफ देखने को मिल रही है। बाबा राम रहीम ने आगे कहा कि ये समुद्र तो आपको याद ही होगा। इस बार समुद्र ज्यादा बढ़कर आए है। मेरी आशा है कि आपके बच्चों, बुजुर्गों और जवानों को आशीर्वाद मिले।
बता दें कि जेल में बाबा राम रहीम को लेने उसका अंगरक्षक और उसकी खास शिष्या हनी प्रीत पहुंचे थे। अब हनीप्रीत बाबा राम रहीम की बेहद खास बन चुकी है। बाबा राम रहीम अपनी इस शिष्या को अपने परिवार का सदस्य भी मानता है। इसकी बानगी देखने को उस वक्त मिली थी, जब बीते दिनों बाबा राम रहीम ने अपने आधार कार्ड में अपनी शिष्या हनीप्रीत का नाम बतौर बेटी दर्ज करवाया था। जिससे यह साफ जाहिर होता है कि अब गद्दी की कमान किसी को मिलेगी, तो वो हनीप्रीत ही होगी।
गौरतलब है कि बाबा राम रहीम को साल 2017 में साध्वी से दुष्कर्म और पत्रकार की हत्या के मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसके बाद बाबा के समर्थकों ने पूरे देश में जमकर बवाल काटा था और देश की संपत्तियों को नुकसान पहुंचाया था। जिसके बाद पुलिस ने बाबा के समर्थकों के खिलाफ भी कार्रवाई की थी। हालांकि, कथित तौर पर उस वक्त बाबा की ओर से समर्थकों से ऐसा नहीं करने की अपील की गई थी, लेकिन इस अपील पर किसी भी प्रकार का ध्यान नहीं दिया गया और धड़ल्ले से सरकारी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने का सिलसिला जारी रहा।