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पहली लिस्ट जारी होते ही उठने लगे बगावती सुर

Dhananjay Singh

नई दिल्ली। भाजपा ने लोकसभा चुनाव के लिए 195 उम्मीदवारों की अपनी पहली सूची शनिवार को जारी कर दी। इस लिस्ट में उत्तर प्रदेश की 80 में से 51 सीटों पर उम्मीदवार घोषित किए जा चुके हैं। इस सूची में कई पुराने उम्मीदवारों को उतारा गया है, तो वहीं कई दिग्गजों तक के टिकट कटे हैं। उम्मीदवारों की घोषणा होने के साथ ही एनडीए में कुछ बगावती सुर भी सुनाई देने लगे हैं।
एनडीए की सहयोगी जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव और उत्तर प्रदेश के जौनपुर से पूर्व सांसद रहे धनंजय सिंह के बगावती तेवर सामने आए हैं। धनंजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए इस बात के संकेत दिए हैं कि वो टिकट न मिलने से नाखुश हैं और उनका इशारा इस ओर है कि वो पार्टी लाइन के खिलाफ जाकर फैसला ले सकते हैं। जेडीयू महासचिव धनजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट पर लिखा, ‘साथियों! तैयार रहिए… लक्ष्य बस एक लोकसभा 73, जौनपुर।’ उन्होंने इस पोस्ट के साथ एक पोस्टर भी शेयर किया है, जिसमें लिखा है, ‘जीतेगा जौनपुर जीतेंगे हम।’ अब उनके इस पोस्ट को बगावती तेवर के तौर पर देखा जा रहा है। दरअसल धनंजय सिंह जौनपुर से टिकट के लिए दावेदारी कर रहे थे, लेकिन भाजपा की पहली लिस्ट में जौनपुर से कृपाशंकर सिंह को प्रत्याशी घोषित किया गया है, इसके बाद ही धनंजय सिंह की ओर से सोशल मीडिया पोस्ट की गई। उनके इस सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए ऐसा अंदाजा लगाया जा रहा है कि वो जौनपुर से निर्दलीय ताल ठोंकने का मन बना रहे हैं।
आपको बता दें कि धनंजय सिंह नीतीश कुमार की जदयू से काफी पुराने समय से जुड़े रहे हैं। एक बार वह जदयू की टिकट पर विधायक भी रह चुके हैं। धनंजय सिंह ने पहली बार 2002 में रारी विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव जीता। इसके बाद 2007 में उन्हें जदयू से टिकट मिला और वह विधानसभा पहुंचे। लेकिन 2008 में धनंजय जेडीयू छोड़कर बसपा में शामिल हो गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में बसपा ने उन्हें जौनपुर से टिकट दिया और पहली बार धनंजय सिंह सांसद बनकर लोकसभा पहुंचे थे।
मौजूदा हालात को देखते हुए ऐसा अंदाजा है कि जैसे-जैसे उम्मीदवारों की घोषणा होती जाएगी वैसे-वैसे कुछ और बगावती सुर भी सुनाई दे सकते हैं। इसी क्रम में एक नाम जो बीते दिनों सबसे ज्यादा चर्चा में रहा वो है ब‍ृजभूषण शरण सिंह का जो कि यूपी की केसरगंज सीट से सांसद हैं। महिला कुश्ती खिलाड़ियों द्वारा बृजभूषण पर लगाए गए यौन उत्पीड़न के आरोपों के चलते ऐसा माना जा रहा है कि इनका टिकट भी कट सकता है। वैसे बृजभूषण अपनी दावेदारी को लेकर पूरी तरह आश्ववस्त हैं लेकिन अगर उन्हें टिकट नहीं मिलती है तो क्या वो पार्टी के फैसले का सम्मान करेंगे या बगावत ये देखने वाली बात होगी। हालांकि मौजूदा समय में मोदी मैजिक के आगे और वो भी बिना किसी पार्टी सिंबल के चुनाव में जीत हासिल करना बहुत ही मुश्किल है लेकिन कब किसका पासा पलट जाए ये कोई नहीं जानता।

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