नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने देशद्रोह कानून पर रोक लगा दी है। एक तरफ जहां केंद्र सरकार देशद्रोह कानून को आज की परिस्थतियों में उचित व प्रासंगिक ठहराने की कोशिश में जुटी हैं, वहीं दूसरी तरफ याचिकाकर्ता वकील व वरिष्ठ कांग्रेसी नेता कपिल सिब्बल देशद्रोह कानून पर रोक लगाने के लिए बीते कई दिनों से कोर्ट का दरवाजा खटखटा रहे थे। अब सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद कई नेताओं के बयान भी सामने आ रहे हैं। इसमें सबसे पहला नाम कांग्रेस नेता राहुल गांधी की प्रतिक्रिया सामने आई। जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर लिखा कि, ‘सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं। सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं। सच सुनना राजधर्म है, सच कुचलना राजहठ है। डरो मत’।
सच बोलना देशभक्ति है, देशद्रोह नहीं।
सच कहना देश प्रेम है, देशद्रोह नहीं।सच सुनना राजधर्म है,
सच कुचलना राजहठ है।डरो मत! pic.twitter.com/AvbWVxKh6p
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) May 11, 2022
हालांकि राहुल गांधी के इस ट्वीट के बाद केंद्रीय कानून मंत्री किरन रिजिजू ने भी कांग्रेस नेता को जवाब देने में थोड़ी भी देरी नहीं की। उन्होंने खुद केंद्र का मोर्चा संभालते हुए राहुल गांधी पर पलटवार किया। इसके साथ ही रिजिजू ने एक के बाद एक कई सिलसिलेवार ट्वीट किए। उन्होंने अपने ट्वीट में पूर्व पीएम इंदिरा गांधी और जवाहर लाल नेहरू का जिक्र कर राहुल गांधी को आईना दिखाने की भी कोशिश की। किरन रिजिजू ने राहुल गांधी पर निशाना साधते हुए आजादी के बाद नेहरू के द्वारा किये गए संविधान संशोधन की बात कही है। इसके साथ ही उन्होंने कांग्रेस पर देश विरोधी ताकतों के साथ खड़े होने की भी बात कही गई है।
कांग्रेस लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान विरोधी- किरन रिजिजू
किरन रिजिजू ने राहुल गांधी के ट्वीट पर पलटवार करते हुए कहा है कि, ‘@RahulGandhi की हवा-हवाई बातें। अगर कोई एक पार्टी है जो स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संस्थानों के सम्मान की विरोधी है, तो वह भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस है। यह पार्टी हमेशा से भारत को तोड़ने वाली ताकतों के साथ खड़ी रही है और इसने भारत को बांटने का कोई मौका नहीं छोड़ा है। और…पहला संशोधन कौन लेकर आया? यह और कोई नहीं बल्कि पंडित जवाहरलाल नेहरू थे! उस समय श्यामा प्रसाद मुखर्जी और जनसंघ ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कम करने के उद्देश्य से लाए गए इस उपाय का विरोध किया था। नेहरू जी ने केरल में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार को भी बर्खास्त कर दिया था।’
During the Anna Movement and the other anti-corruption movements too, those who were not toeing the UPA line were subjected to bullying, harassment, intimidation and arrests. All this under the watchful eyes of the UPA! https://t.co/UgY1E422ry
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) May 11, 2022
किरन रिजिजू यही पर नहीं रुके आगे उन्होंने लिखा कि, ‘और जब अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचलने की बात आती है, तो श्रीमती इंदिरा गांधी जी इसमें गोल्ड मेडल विनर हैं! आपातकाल के बारे में तो हम सभी जानते हैं लेकिन क्या आप यह भी जानते हैं कि उन्होंने 50 से ज्यादा बार अनुच्छेद 356 लगाया था! वह हमारे तीसरे स्तंभ न्यायपालिका को कमजोर करने के लिए ‘प्रतिबद्ध न्यायपालिका’ के विचार के साथ आई थीं! और..इंदिरा गांधी की सरकार ने ही भारत के इतिहास में पहली बार धारा 124ए को संज्ञेय अपराध बनाया था। यह नई दंड प्रक्रिया संहिता 1973 में हुआ, जो 1974 में लागू हुई।
Empty words by @RahulGandhi
If there is one party that is the antithesis of freedom, democracy and respect for institutions, it is the Indian National Congress.
This Party has always stood with Breaking India forces and left no opportunity to divide India. https://t.co/Rajl1pG2v8
— Kiren Rijiju (@KirenRijiju) May 11, 2022