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RSS ने पेश की अनोखी मिसाल: कोरोना काल में जिनका नहीं हो सका अंतिम संस्कार, स्वयंसेवक कर रहे पिंडदान

RSS Antim Sanskar

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के समय में देश में कई लोगों की जाने गई। ऐसे में कई परिवार ऐसे भी हैं, जो कोरोना काल के चलते अपने परिजनों का ठीक तरीके से अंतिम संस्कार नहीं कर पाए। ऐसे लोगों के अंतिम संस्कार का जिम्मा राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ(RSS) के स्वयंसेवकों ने उठाया। बता दें कि इस महामारी के बीच अनोखी मिसाल पेश करते हुए RSS के स्वयंसेवकों ने उन लोगों का अंतिम संस्कार विधि विधान से किया, जिनके परिवार के लोग महामारी के चलते दूर रहे या फिर मृतक से दूरी बनाए रहे। बता दें कि इसका सबसे बड़ा उदाहरण भोपाल में देखने को मिला। भोपाल में संघ के स्वयंसेवकों ने 200 से भी अधिक लोगों की अस्थियों को होशंगाबाद जाकर विधि-विधान के साथ पिंडदान किया। स्वयंसेवकों  ने नर्मदा नदी में ऐसे लोगों की अस्थियों को विसर्जित किया। गौरतलब है कि होशंगाबाद के मंगल घाट पर स्वयंसेवकों द्वारा अस्थियां विसर्जित करने की प्रक्रिया पूरी की गई।

इस पुण्य कार्य को लेकर संघ के कार्यकर्ता रमेश लेखवानी ने कहा कि जब हमारे स्वयंसेवक अंतिम संस्कार में सहयोग कर रहे थे तो हमारे सामने कई ऐसे शव आए जिन्हें कोई पूछने वाला नहीं था। ऐसे सभी शवों की अस्थियों को हमने इकट्ठा किया और नर्मदा नदीं विसर्जित किया। इस घटनाक्रम में कई ऐसे परिवार थे, जो किन्हीं कारणों से अपने परिजनों की अस्थियों को नहीं ले जा पाए। हमारे स्वयंसेवकों से उन्होंने अनुरोध किया था कि विधि-विधान से उनके प्रियजनों की अस्थियों का विसर्जन करने में सहयोग करें।

हिंदू रीति रिवाजों से लोगों का अंतिम संस्कार करने को लेकर हमारे स्वयंसेवकों ने कई परिवारों को ऑनलाइन भी जोड़ा। उन्होंने पूरे विधि-विधान से ऑनलाइन ही रस्में पूरी कीं। बता दें कि मध्यभारत प्रांत के स्वयंसेवकों ने कोरोना काल में 53 स्थानों पर अंतिम संस्कार के लिए अपनी सेवाएं दी। RSS की तरफ से किए गए इस कार्य को लेकर उसकी काफी सराहना हो रही है। गौरतलब है कि ऐसा पहली बार नहीं है कि RSS इस तरह कि विपदा में देश में सहायता करने के लिए आगे आई है। इससे पहले कई मौके आए, जहां RSS ने देशहित में बढ़ चढ़कर अपनी सेवाएं दी और उसके लिए उसे सम्मानित भी किया गया है।

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