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Saket Gokhale: मोदी विरोधियों से क्राउडफंडिंग के नाम पर लाखों रुपये ऐंठने वाली वेबसाइट हुई गायब, स्वघोषित RTI एक्टिविस्ट साकेत गोखले सवालों के घेरे में

SAKET GOKHLE

नई दिल्ली। देश में इस साल उत्तर प्रदेश-उत्तराखंड के साथ-साथ गोवा, मणिपुर और पंजाब में चुनाव होने हैं। ऐसे में पार्टियों ने चुनाव से पहले अपना पूरा दम लगाना शुरू कर दिया है। पार्टियां एक दूसरे पर हमलावर है ताकि चुनाव में अपनी जीत की कुर्सी पक्की कर सके। इस बीच अब मोदी विरोधियों से क्राउडफंडिंग के नाम पर लाखों रुपये ऐंठने वाला वेबसाइट गायब हो गया है। दरअसल, मामला कुछ यूं है कि तृणमूल कॉन्ग्रेस नेता (TMC) साकेत गोखले अपनी जीविका चलाने के लिए जिन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते थे उनमें से एक ourdemocracy.in शामिल है। अब यही प्लेफॉर्म अचानक लापता हो गया है या कहे कि इसका कोई अता-पता नहीं है।

बता दें, गोखले पूर्णकालिक नौकरी छोड़कर 10 रुपए खर्च करके RTI डालने का काम करते थे, ऐसे में वो पैसे जुटाने के लिए क्राउडफंडिंग का सहारा लेते थे। साल 2019, नवंबर में गोखले ने क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म का एक लिंक ट्वीट करते हुए ये कहा था कि ‘बीजेपी/आरएसएस से लड़ने’के लिए उन्हें अपनी नौकरी छोड़ने का निर्णय किया है। क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म पर उन्होंने ऐसे लोगों से इकट्ठा होने और उन्हें पैसे देने का आग्रह किया था जो कि मोदी विरोधी हैं। इन पैसों से वो अपना गुजारा करते थे जिससे की उन्हें नौकरी ना करनी पड़े।

बता दें, मोदी विरोधी इस कैंपन को शुरू करने के बमुश्किल 3 महीने बाद यानी फरवरी 2020 तक गोखले ने इस कैंपन से जरिए मोदी विरोधी लोगों से 20 लाख रुपए से अधिक की राशि इकट्ठा कर ली थी। गोखले ने इस बात को स्वीकार भी किया था कि उन्होंने करीब 22 लाख रुपए से ज्यादा की राशि जमा भी की है। इस पैसों को लेकर उस समय गोखले ने कहा था कि वो इसका इस्तेमाल अपने व्यक्तिगत खर्चों को पूरा करने के लिए और ऐसे लोगों को जोड़ने में करेगा जो मोदी विरोधी हो। हालांकि उस दौरान ये भी बात सामने आई थी कि OurDemocracy crowdfunding platform में जुटाई गई राशि कुल आँकड़ा नहीं दे रहा था। ऐसे में उन लोगों को जिन्होंने इसमें पैसों का योगदान दिया था उन्हें इस बारे में जानकारी नहीं मिल पा रही थी कि गोखले कितना धन जुटा चुके हैं।

क्या होता है क्राउडफंडिंग

क्राउडफंडिंग एक ऐसा तरीका है, जिसमें लोगों की सहायता से किसी एक मुद्दे पर पैसों और सहयोग इकठ्ठा किया जाता है। क्राउडफंडिंग में लोग जिस भी तरह की मदद करते हैं जैसे की पैसों की तो उन्हें ये मालूम होता है कि वो कहां और किस मकसद से इस फंड को दे रहे हैं। हालाँकि, अब ये मोदी विरोध क्राउडफंडिंग कैंपन एक दम से गायब हो गया है।

प्लेटफॉर्म अब रहस्यमय तरीके से गायब

हालांकि अब इस प्लेटफॉर्म का रहस्यमय तरीके से गायब होना कई सवाल खड़े कर रहा है। ध्यान हो इस प्लेटफॉर्म पूर्व सीपीआई नेता और अब कॉन्ग्रेस नेता कन्हैया कुमार, आम आदमी पार्टी की नेता आतिशी मार्लेना और कफील खान ने भी किया था जो साल 2017 में गोरखपुर ऑक्सीजन मामले के मुख्य आरोपी हैं।

वहीं जब एक वैबसाइट ने इस क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म की पड़ताल की गई तो पता चला कि टाइम्स नाउ और WION जैसे चैनलों के साथ काम कर चुके एनडीटीवी के पूर्व पत्रकार बिलाल जैदी ने आनंद मंगनाले (Anand Mangnale) के साथ मिलकर 2017 में स्वतंत्र पत्रकारों के लिए ऑनलाइन क्राउडफंडिंग प्लेटफॉर्म ‘क्राउडन्यूजिंग’ की शुरुआत की थी। ये भी पता चला कि साल 2019 के आम चुनावों से ठीक पहले उन्होंने जब इस प्लेटफॉर्म को बढ़ाने का फैसला लिया तो इसे ‘ourdemocracy’ में तबदील कर दिया गया। कन्हैया कुमार, आतिशी मार्लेना जैसे नेताओं और साकेत गोखले जैसे बेरोजगार लोगों का इस पर स्वागत भी किया गया। ये वहीं थे जिन्होंने आरटीआई भरने के लिए अपनी नौकरी तक छोड़ दी थी।

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