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Election: पश्चिमी यूपी पर कब्जे के लिए आज गठबंधन का फैसला कर सकते हैं अखिलेश और जयंत

लखनऊ। 2012 के यूपी विधानसभा चुनाव में सपा ने पश्चिमी यूपी में बीजेपी को धूल चटाई थी, लेकिन 2017 में बीजेपी ने सपा का सूपड़ा इस इलाके में साफ कर दिया था। अब फिर सपा यहां की ज्यादातर सीटों को हासिल करने की कोशिश में जुट गई है। इसके लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव, पश्चिमी यूपी में ताकतवर रही राष्ट्रीय लोक दल यानी आरएलडी से समझौता करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल सीटों की संख्या को लेकर पेच फंसा है। इस पेच को सुलझाने के लिए आज अखिलेश और आरएलडी चीफ जयंत चौधरी के बीच मीटिंग होने जा रही है। साल 2012 में सपा ने यूपी में सरकार बनाई थी। तब पश्चिमी यूपी में सपा को 58 और बीजेपी को सिर्फ 20 सीटें मिली थीं। 2017 में सपा को सिर्फ 21 सीटें और बीजेपी को 109 सीटें इस इलाके से मिलीं। जिससे बीजेपी ने सपा को हराकर यूपी की सत्ता पर कब्जा जमा लिया। लखनऊ पहुंचने का रास्ता दो इलाकों से आता है। इनमें से एक पश्चिमी यूपी और दूसरा पूर्वांचल है। जो पार्टी इन इलाकों में जीतती है, वही लखनऊ पर राज करती है। इस बार किसान आंदोलन और जाट आरक्षण की मांग के कारण बीजेपी के लिए पश्चिमी यूपी की जंग काफी मुश्किल भरी हो सकती है। ऐसे में अखिलेश यहां जीत दर्ज करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रहे हैं।

बीजेपी ने विकास, सबका प्रयास और हिंदुत्व का एजेंडा चल दिया है। वहीं, अखिलेश यादव किसानों, बेरोजगारों और गरीबों का मुद्दा उठा रहे हैं। ऐसे में अगर आरएलडी से सपा का समझौता हो जाता है, तो अखिलेश के लिए जाटलैंड में बीजेपी को कड़ी टक्कर देने में आसानी हो सकती है। हालांकि, 2019 के लोकसभा चुनाव में आरएलडी से समझौते के बाद भी सपा को इस इलाके में फायदा नहीं हुआ था।

बता दें कि 7 दिसंबर को मेरठ में अखिलेश और जयंत चौधरी की सामूहिक जनसभा है। ऐसे में दोनों दलों के बीच अगर सीट का समझौता हो जाता है, तो ये सपा के लिए फायदेमंद हो सकता है। जयंत चौधरी के बारे में सूत्रों का कहना है कि वो पहले 50 सीटें मांग रहे थे और अब 40 मांग रहे हैं। जबकि, अखिलेश यादव 36 सीटों के लिए उन्हें मना रहे हैं।

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