News Room Post

Maharashtra: बागियों का शक्ति प्रदर्शन देख संजय राउत की निकल गई हेकड़ी, किया ऐलान ‘अगर बागी चाहते हैं वो महाविकास अघाड़ी से हो जाएंगे अलग’

sanjay raut

नई दिल्ली।पहले तो यह बात सिर्फ महाविकास अघाड़ी के आलोचकों द्वारा ही कही जा रही थी कि उद्धव ठाकरे ने जिस तरह साल 2019 में सरकार बनाने के लिए कांग्रेस और राकांपा के साथ हाथ मिलाकर अपने विचारों से समझौता किया था, यह उसी का नतीजा है कि आज शिवसैनिक बगावत का चोगा ओढ़ चुके हैं, जिसमें एकनाथ शिंदे समेत 45 विधायक शामिल हैं। शिंदे लगातार कह कर रहे हैं वे ही असली शिवसैनिक हैं और हिंदुत्व की विचारधारा के उपासक हैं और उनका मानना है कि वे कुछ गलत नहीं कर रहे हैं। सिर्फ और सिर्फ बाला साहब ठाकरे की विचारधाराओं को सुरक्षित रखने का काम कर रहे हैं, क्योंकि उनका मानना है कि शिवसेना अब अपनी मूल विचारधाऱा से भटक चुकी है। बागी विधायक महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस राकांपा के शामिल होने से खफा हैं,जिसे ध्यान में रखते हुए ही उन्होंने बगावत का चोगा ओढ़ने का फैसला किया है।

हालांकि, कल तक अपनी इन्हीं गलतियों को स्वीकार करने से गुरेज करने वाले राउत ने भी मान लिया है कि उनसे बड़ी गलती हुई है। इसी बीच आज उन्होंने प्रेसवार्ता में साफ कर दिया है कि अगर बागी शिवसैनिक चाहते हैं कि महाविकास अघाड़ी सरकार में शामिल कांग्रेस और राकांपा से अलहदा हुआ जाए, तो आप महाराष्ट्र में आइए, सीएम उद्धव से बात कीजिए, हमसे बात कीजिए, कभी सूरत तो कभी गुवाहाटी जाना बंद कीजिए। हम आपके विचारों को समर्थन करेंगे। इतना ही नहीं , उन्होंने तो यहां तक कहने से भी गुरेज नहीं किया कि अगर विधायक कहेंगे तो हम महाविकास अघाड़ी सरकार से हटने पर भी विचार करेंगे। इस पर विचार करने के लिए राउत ने शिंदे को 24 घंटे का समय दिया है। ध्यान रहे कि गुवाहाटी के जिस होटल में शिंदे अपने बागी विधायकों के साथ ठहरे हुए हैं, उसकी सुरक्षा बढ़ा दी गई है। बता दें कि इससे पहले राउत ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा था कि ज्यादा से ज्यादा क्या हो जाएगा। सरकार चली जाएगी। विधानसभा भंग हो जाएगी। तो वो फिर बन जाएगी। लोकतंत्र है। इससे पहले सीएम उद्धव ने भी फेसबुक पर लाइव आकर बागी शिवसैनिकों से कहा था कि अगर मेरे मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बने रहने से कोई समस्या है, तो मैं पद छोड़ सकता हूं।

इतना ही नहीं, अगर आप कहेंगे कि मैं शिवसेना प्रमुख के पद से भी इस्तीफा दे दूं, तो मुझे इससे भी कोई आपत्ति नहीं है। मैं सामान्य शिवसैनिक के रूप में भी प्रदेश की जनता की सेवा करता रहूंगा। ध्यान रहे कि इससे पहले शिंदे 45 बागी विधायकों की तस्वीर साझा कर अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर चुके हैं। अब ऐसे में आगे चलकर शिंदे क्या कुछ कदम उठाते हैं। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी। हालांकि, उद्धव ने अपनी सरकार बचाने के लिए शिंदे को मुख्यमंत्री की कुर्सी ऑफर की थी, लेकिन उन्होंने इस ऑफर को ठुकरा दिया था, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि वह कुर्सी के लालची नहीं, बल्कि विचारधारा को सुरक्षित रखने की चाह रखते हैं। अब ऐसे में प्रदेश में जारी राजनीतिक घमासान क्या रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

Exit mobile version