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Sanjay Singh Sent to ED Custody: ED की जांच के खिलाफ संजय सिंह ने खटखटाया HC का दरवाजा, तो…!

नई दिल्ली। दिल्ली शराब नीति घोटाले में गिरफ्तार आप नेता संजय सिंह को एमके नागपाल की सीबीआई कोर्ट ने आगामी 23 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया है। आज उनकी तीन दिनों की हिरासत पूरी हुई। जिसके बाद उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। उधर, ईडी ने कोर्ट के समक्ष कहा कि आप नेता पूछताछ में किसी भी प्रकार का सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिसकी वजह से जांच में विलंब हो रहा है। ईडी ने यह भी कहा कि अगर आप नेता जांच में सहयोग करेंगे, तो यथाशीघ्र किसी भी नतीजे पर पहुंच पाना आसान रहेगा।

वहीं, संजय सिंह ने ईडी की जांच के खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है। कोर्ट अब इस याचिका पर सुनवाई करने के लिए तैयार हो चुका है, जिस पर आगामी 17 अक्टूबर को सुनवाई होगी। इसके साथ ही कोर्ट ने संजय सिंह की इस याचिका को ध्यान में रखते हुए ईडी को नोटिस भी जारी कर जवाब भी तलब किया है। बीते दिनों दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में आप नेता संजय सिंह को ईडी ने छापेमारी के बाद गिरफ्तार किया था।

इससे पहले दिल्ली शराब घोटाला मामले में केजरीवाल सरकार में मंत्री रहे सत्येंद्र जैन और शिक्षा मंत्र मनीष सिसोदिया को गिरफ्तार किया गया था। उधर, अब घोटाले की जांच की आंच संजय सिंह तक पहुंची जिसके बाद अब उन्हें जेल की हवा खानी पड़ रही है। हालांकि, इस कार्रवाई को इन्होंने बीजेपी की साजिश करार दिया है, लेकिन बीजेपी का दो टूक कहना है कि यह हमारी साजिश नहीं, बल्कि आप नेताओं के करतूतों का परिणाम है, जो कि उन्हें भुगतना पड़ रहा है। उधर, सीएम केजरीवाल ने मीडिया से बातचीत के दौरान स्पष्ट कर दिया था कि हमारी पार्टी ईमानदार कट्टरवादी पार्टी है, जो कि हर भ्रष्टाचार के खिलाफ है ।अब हमारी पार्टी को जनता का प्यार मिल रहा है, जो कि कुछ लोग नहीं देख पा रहे हैं ,लिहाजा अब ये लोग हमारी पार्टी के समूल विनाश करने के लिए मोर्चा खोल चुके हैं, लेकिन इन लोगों के आगे हम डरने वाले नहीं है। हम लगातार इनके तानाशाही रवैये के खिलाफ हुंकार भरते रहेंगे।

अब उपरोक्त प्रसंगों से अवगत होने के बाद आपके जेहन में यह सवाल आ सकता है कि आखिर दिल्ली शराब घोटाला क्या है, तो आपको बता दें कि जब पूरी दुनिया कोरोना से त्राहि-त्राहि कर रही थी, तब दिल्ली की केजरीवाल सरकार नई आबकारी नीति लेकर आई थी। अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर ये आबकारी नीति क्या है, तो आपको बता दें कि किसी भी प्रदेश में शराब सहित अन्य मादक पदार्थों का क्रय विक्रय किस दर पर किया जाएगा। इसका निर्धारण इसी नीति के आधार पर किया जाता है। हर राज्य की आबकारी नीति अलग -अलग होती है। इस नीति के निर्माण में राज्य सरकार की अहम भूमिका होती है।

वहीं, अब केजरीवाल सरकार पर यह आरोप लग रहे हैं कि इन्होंने निजी शराब कारोबारियों को आर्थिक फायदा पहुंचाने के मकसद से नीति निर्धारित नियमों को दरकिनार कर अनियमितता बरती है, जिसे संज्ञान में लेने के बाद अब ईडी ने इस नीति के निर्माण में अहम भूमिका निभाने वाले नेताओं पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है। हालांकि, बीजेपी के निशाने पर आने के बाद केजरीवाल सरकार ने इस नीति को वापस ले लिया था, जिसे लेकर बीजेपी ने आप को आड़े हाथों लिया था।

बीजेपी ने अपने बयान में कहा था कि अगर इस नीति में कोई विसंगति नहीं थी, तो केजरीवाल सरकार ने इसे वापस क्यों लिया? फिलहाल, इस पूरे विषय को लेकर विवादों का बाजार अभी-भी गुलजार है। अब ऐसे में यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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