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Maharashtra: शिंदे ने ठुकराया उद्धव का प्रस्ताव, सरकार बचाने के लिए लगाई थी एकनाथ से ये गुहार

नई दिल्ली। तो क्या अब मान लिया जाए कि महाराष्ट्र की उद्धव सरकार एकनाथ शिंदे के आगे माथा टेक चुकी है। हार मान चुकी है। नतमस्तक हो चुकी है। शिवसेना के चारों खाने चित्त हो चुके हैं। उसकी दुर्गति अब अपने चरम पर पहुंच चुकी है। ऐसा इसलिए,  क्योंकि पहले तो राउत मीडिया से मुखातिब होने के दौरान महाविकास अघाड़ी सरकार में सब कुछ दुरूस्त होने का दावा करते हैं और न महज इकलौते राउत, बल्कि कई शिवसैनिक सब कुठ ठीक होने का दावा करते नहीं थकते, लेकिन फिर राउत मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहते हैं कि, ‘क्या हो जाएगा। ज्यादा से ज्यादा सरकार चली जाएगी, तो सरकार फिर बन जाएगी’। इसके बाद उद्धव ठाकरे फेसबुक पर लाइव आकर शिवसैनिकों के जेहन में व्याप्त आशंकाओं को दूर करने का काम किया है। उन्होंने तो यहां तक कहने से भी गुरेज नहीं किया कि, ‘अगर किसी को मेरे मुख्यमंत्री बने रहने से कोई समस्या है, तो मैं इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। यहां तक अगर आप चाहते हैं, तो मैं शिवसेना प्रमुख के पद से भी इस्तीफा देने के लिए तैयार हूं। लेकिन जिस तरह से कहीं गुजरात तो कहीं गुवाहाटी से जिस तरह मुझे शिकवे शिकायते मिल रही है। वो ठीक नहीं है। वहीं, उन्होंने हिंदुत्व की विचारधारा को लेकर कहा कि पार्टी ने कभी हमारी विचारधारा से कभी-भी कोई समझौता नहीं किया है।

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उधर, एकनाथ शिंदे के बगावती तेवर को लेकर राकांपा प्रमुख शरद पवार ने बड़ा ऐलान किया है, जिसमें उन्होंने एकनाथ शिंदे को महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनाने की पेशकेश की है। बता दें कि एकनाथ शिंदे अपने 47 विधायकों के साथ होने का दावा कर रहे हैं। उनका कहना है कि उनके साथ 47 विधायक हैं, जिसमें से 34 विधायक बीजेपी के शामिल हैं, जिसमें कई निर्दलीय विधायक भी शामिल हैं। उधर, शिंदे ट्वीट कर साफ कर चुके हैं कि वो जो भी कर रहे हैं,  गलत नहीं कर रहे हैं, वे बाला साहब ठाकरे के विचारधाराओं का पालन कर रहे हैं। उन्होंने दावा किया है कि वे हिंदुत्व की विचारधारा का पालन कर रहे हैं।

बहरहाल, इन तमाम सियासी परिस्थितियों के बीच जिस तरह से उन्होंने शरद पवार ने एकनाथ शिंदे को मुख्यमंत्री बनाने का ऐलान किया है, लेकिन खबर है कि शिंदे इस ऑफर को ठुकरा दिया है।  बता दें कि शरद पवार ने ही ठाकरे को यह सलाह दी थी कि शिंदे को मुख्यमंत्री बना दिया जाए। वहीं, एफबी लाइव में भी उद्धव कह चुके थे कि अगर आप किसी  और को मुख्यमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं, तो मैं इसके लिए तैयार हूं।  लेकिन अब खबर है कि शिंदे ने उद्धव के मुख्यमंत्री बनने के प्रस्ताव को ठुकरा दिया  है। जिससे यह साफ जाहिर  होता है कि वे महाविकास अघा़ड़ी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बना चुके हैं। उसे लेकर अब सियासी गलियारों में चर्चा का बाजार गुलजार हो चुका है। माना जा रहा है कि जिस तरह से हिंदुत्व की  विचारधारा का समझौता करते हुए शिवसेना कांग्रेस और राकांपा के साथ मिलकर अपनी सरकार बनाई थी, उसे लेकर शिंदे खफा थे और उन्हें सरकार में कोई खास और अहम पद भी नहीं दिया गया था, जिसे लेकर शिंदे खफा थे। लेकिन अब जिस तरह से महाराष्ट्र की अघाड़ी सरकार के खिलाफ  शिंदे ने मोर्चा खोला है, अब ऐसे में महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति क्या कुछ रुख अख्तियार करती है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

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