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कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोलने वाली ममता दीदी को शिवसेना ने दी नसीहत, कहा- इससे BJP को मिलेगी ताकत

नई दिल्ली। यूं तो विपक्षी दलों को इस बात एहसास काफी पहले ही हो चुका था कि अगर भारतीय जनता पार्टी के विजयी रथ को रोकना है, तो इसके लिए एकता की नौका पर सवारी करनी होगी, लिहाजा तमाम दलों ने बीजेपी के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए इस नौका पर सवारी भी की, लेकिन टीएमसी की संरक्षक व पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस नौका में बड़ा-सा छेद करती हुई दिख रही और अगर वो यह छेद करने में कामायब रही, तो यह नौका डूब सकती है और विपक्षी दलों की बीजेपी के विजयी रथ को रोकने की कोशिश नाकाम रह सकती है। पिछले कुछ दिनों से ममता बनर्जी ने कांग्रेस के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। महाराष्ट्र दौरे के दौरान उन्होंने जिस तरह कांग्रेस को आड़े हाथों लेकर राहुल गांधी पर निशाना साधा है। उसे लेकर अब सामना के जरिए शिवसेना ने ममता बनर्जी को बड़ी नसीहत दी है।

सामना के हवाले से शिवसेना ने कहा कि , कांग्रेस को राष्ट्रीय राजनीति से दूर रखना, फासिस्ट ताकतों की मदद करने जैसा ही है। सामना में लिखे आलेख में शिवसेना की तरफ से कहा गया है कि, अपने-अपने राज्य और टूटे-फूटे किले संभालने के एक साथ इस पर तो कम-से-कम एकमत होना जरूरी है। इस एकता का नेतृत्व कौन करे यह आगे का मसला है। पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी बाघिन की तरह लड़ीं और जीतीं। बंगाल की भूमि पर BJP को चारों खाने चित करने का काम उन्होंने किया। शिवसेना ने सामना में कहा कि, फिलहाल मोदी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए एक वैकल्पिक मोर्चे की जरूरत है और विपक्षी दलों ने यह जिम्मेदारी ममता बनर्जी को दे रखी है, लेकिन उन्हें इस बात का ध्यान रखना होगा कि यह कांग्रेस के बिना मुकम्मल नहीं हो सकती है। हम कांग्रेस को परे नहीं रख सकते हैं।

ध्यान रहे कि शिवसेना की तरफ से यह प्रतिक्रिया अभी ममता बनर्जी के उस बयान की प्रतिक्रिया के रूप में सामने आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि देश में यूपीए नहीं है। उन्होंने राहुल गांधी को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा था कि वे तो हमेशा विदेश में रहते हैं। ऐसे  विदेश में रहने से काम नहीं चलेगा। इससे पहले गोवा में जनसभा को संबोधित करने के दौरान भी उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा था कि एक तरफ दोस्ती और दूसरी तरफ दुश्मनी। ऐसा नहीं हो सकता है। सियासी प्रेक्षकों की मानें तो  ममता दीदी की यह नाराजगी पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में कांग्रेस द्वारा टीएमसी  के खिलाफ मोर्चा खोलने के दौरान ही शुरू हो गई थी। खैर, अब देखना होगा कि आगे चलकर यह पूरा माजरा क्या रुख अख्तियार करता है।

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