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RJD नेता शिवानंद तिवारी ने सांसदों के निलंबन को कैपिटल हिल हिंसा से जोड़ा, कहा- दुनिया की संसद में ऐसी घटनाएं होती रहती हैं

Shivanand Tiwari: शिवानंद तिवारी कहते हैं कि ‘दुनिया की हर संसद में कभी ना कभी, इस तरह की घटनाएं होती हैं। गुस्से में आदमी अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पाता है।

shivanand tiwari on Capitol hill

नई दिल्ली। राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के नेता शिवानंद तिवारी ने राज्यसभा के 12 सांसदों के निलंबन को कैपिटल हिल की ऐतिहासिक हिंसा के साथ जोड़कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी ने 12 सांसदों के निलंबन को गलत बताया है और सांसदों के बर्ताव का बचाव करते उन्होंने कहा है कि ‘कई बार गुस्से में ऐसी घटनाएं हो जाती हैं’। उन्होंने संसद में इस तरह के हंगामे की तुलना कैपिटल हिल हिंसा से की है। शिवानंद तिवारी कहते हैं कि ‘दुनिया की हर संसद में कभी ना कभी, इस तरह की घटनाएं होती हैं। गुस्से में आदमी अपने आप पर नियंत्रण नहीं रख पाता है। आप देखिए, ट्रम्प के समय लोग संसद में घुस गए, भीड़ घुस गई। आरजेडी के सीनियर नेता शिवानंद तिवारी सांसदों के निलंबन और कैपिटल हिल हिंसा को एक तराजू पर क्यों और कैसे तौल रहे हैं, ये समझना मुश्किल है।

कैपिटल हिल हिंसा:अमेरिका के लोकतंत्र पर धब्बा

इस साल 6 जनवरी को कैपिटल हिल में हुई हिंसा को अमेरिकी लोकतंत्र में काले अध्याय के तौर पर देखा जाता है। ये पहला मौका था जब अमेरिकी संसद कैपिटल हिल में बड़ी संख्या में लोगों ने घुसकर हिंसा फैलाई हो। अमेरिकी चुनाव में जो बाइडन से हार के बाद, निवर्तमान राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की अपील पर, उनके सैंकड़ों समर्थक, कैपिटल हिल में घुसकर तोड़फोड़ और आगजनी की थी। ट्रम्प समर्थकों ने नए राष्ट्रपति के रूप में जो बाइडेन के नाम पर मोहर लगाने की संवैधानिक प्रक्रिया को बाधित कर दिया। ट्रम्प समर्थकों और पुलिस के बीच हुई हिंसा में 5 लोगों की मौत हो गई थी। अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव परिणाम के बाद पहली बार इस तरह का संघर्ष देखने को मिला था।

कैसे अब ऐसे हिंसक विरोध प्रदर्शन और सांसदों के निलंबन में क्या कनेक्शन हो सकता है, ये समझना मुश्किल है। आरजेडी के वरिष्ठ नेता शिवानंद तिवारी के लिए किसी देश की लोकतांत्रिक प्रक्रिया को हाइजैक करने के लिए हिंसा को अचानक आए गुस्से से कैसे जोड़ सकते हैं। लेकिन शिवानंद तिवारी यहीं नहीं रुके, उन्होंने ये भी सलाह दी है कि उन 12 सांसदों को बुला कर, उनसे माफी मंगवाना चाहिए, गुजारिश करनी चाहिए कि इस तरह की घटनाएं नहीं हो। साथ ही शिवानंद तिवारी सभापति महोदय को मर्यादा रखने की भी नसीहत देते हैं।

आपको यहां बता दें कि राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने साफ कर दिया है कि 12 विपक्षी सांसदों का निलंबन वापस नहीं होगा। उन्होंने कहा है कि, ‘आपने सदन को गुमराह करने की कोशिश की, आपने अफरा-तफरी मचाई, आपने सदन में हो-हंगामा किया, आसन पर कागज फेंका, कुछ तो टेबल पर चढ़ गए और मुझे ही पाठ पढ़ा रहे हैं। यह सही तरीका नहीं है। प्रस्ताव पास हो गया है, कार्रवाई हो चुकी है और यह अंतिम फैसला है।’ उन्होंने कहा कि सांसद अपने अर्मयादित व्यवहार पर पश्चाताप करने के बजाय वो इसे उचित ठहरा रहे हैं, इसलिए मुझे नहीं लगता कि विपक्ष की मांग पर विचार किया जाना चाहिए।


सभापति ने कहा कि निलंबित सदस्य बाद में सदन में आएंगे और उम्मीद है कि वो सदन की गरिमा और देशवाशियों की आकांक्षा का ध्यान रखेंगे। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन ही राज्यसभा के 12 सदस्यों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई हुई है। इनमें कांग्रेस के 6, शिवसेना और टीएमसी के 2-2 जबकि सीपीएम और सीपीआई के 1-1 सांसद शामिल हैं- फुलो देवी नेताम, छाया वर्मा, आर बोरा, राजमणि पटेल, सैयद नासिर हुसैन और अखिलेश प्रताप सिंह (कांग्रेस), प्रियंका चतुर्वेदी और अनिल देसाई (शिवसेना), शांता छेत्री और डोला सेन (टीएमसी), एलमरम करीम (सीपीएम) और विनय विश्वम (सीपीआई)।

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