नई दिल्ली। दो बच्चों द्वारा अपने माता-पिता के खिलाफ दर्ज कराए गए केस की सुनवाई पर मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने रोक लगा दी। बच्चों ने माता-पिता पर मारने, पीटने और टीवी देखने तथा मोबाइल फोन यूज करने की अनुमति नहीं देने के आरोप लगाते हुए ट्रायल कोर्ट में मुदकमा दर्ज कराया था। इस मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विवेक रूसिया ने अपना फैसला सुनाया।
Madhya Pradesh High Court halts trial against parents in case filed by their children
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— Bar and Bench (@barandbench) August 3, 2024
बार एंड बेंच के अनुसार यह मामला मध्य प्रदेश के इंदौर शहर के चंदन नगर थाना क्षेत्र का है। यहां 21 वर्षीय एक युवती और उसके 8 वर्षीय छोटे भाई की ओर से अपने ही माता-पिता के खिलाफ शारीरिक शोषण का आरोप लगाते हुए गंभीर धाराओं में केस दर्ज कराया गया था। बच्चों ने माता पिता पर मारने, कोविड 19 के दौरान टीवी देखने से रोकने का आरोप लगाया। बच्चों की शिकायत पर माता-पिता के खिलाफ पुलिस ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) और किशोर न्याय अधिनियम की धारा 323 (स्वेच्छा से चोट पहुंचाना), 342 (गलत तरीके से कैद करना), 506 (आपराधिक धमकी के लिए सजा), और 34 (सामान्य इरादा) जैसी गंभीर धाराओं में मामला दर्ज किया। इन गंभीर धाराओं के तहत इस दंपति को सात साल तक की सजा हो सकती थी।
इसके बाद, दंपति ने अपने खिलाफ मामले को रद्द करने की मांग करते हुए उच्च न्यायालय के समक्ष याचिका दायर की। उधर, अदालत में दंपति ने कहा कि वो अपने बच्चों के मोबाइल और टीवी देखने की लत से बहुत परेशान हैं, इसलिए उनको डांट लगा देते हैं। दंपति ने कहा कि यह सिर्फ उनके घर की समस्या नहीं है बल्कि आज हर माता-पिता अपने बच्चों की मोबाइल की लत से परेशान है, यह घर-घर की कहानी है और माता-पिता द्वारा बच्चों को डांटना आम बात है। माता-पिता पर एफआईआर दर्ज कराए जाने के बाद दोनों बच्चे अपनी बुआ के घर रहने चले गए। इस मामले में एक और खुलासा हुआ कि बच्चों के पिता का अपनी बहन से भी विवाद चल रहा है, जिसके घर बच्चे रहने गए हैं।