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राहुल को अमेठी में हराने के बाद स्मृति ईरानी रायबरेली में पड़ी सोनिया गांधी पर भारी, अब मिली ये अहम जिम्मेदारी

नई दिल्ली। कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले अमेठी में राहुल गांधी को 2019 लोकसभा चुनाव में स्मृति ईरानी ने जबरदस्त पराजय दी। हालांकि इसके लिए स्मृति ईरानी को कड़ी मेहनत करनी पड़ी। इससे पहले जब वो 2014 में चुनाव लड़ने अमेठी में आई थीं, तो उन्हें सफलता नहीं मिली लेकिन इसके बाद उन्होंने हार नहीं मानी और अमेठी में लगातार आती रहीं। गौरतलब है अमेठी की जनता का विश्वास जीतकर स्मृति ईरानी ने राहुल को हराने में कामयाबी हासिल की। वहीं कांग्रेस का एक और गढ़ रायबरेली भी स्मृति ईरानी के निशाने पर माना जा रहा है। दरअअसल रायबरेली में स्मृति ईरानी जिले की सांसद सोनिया गांधी पर भारी पड़ी हैं। बता दें कि स्मृति ईरानी को जिला विकास समन्वय एवं अनुश्रवण समिति (दिशा) का नया अध्यक्ष बना दिया गया है। फिलहाल इसको लेकर कांग्रेस को आपत्ति भी है। कांग्रेस इस नियुक्ति को ओछी राजनीति से प्रेरित मान रही है। कांग्रेस प्रवक्ता विनय द्विवेदी का कहना है कि दिशा का अध्यक्ष सोनिया गांधी को बनाया जाना चाहिए। वो भी इसलिए क्योंकि वे रायबरेली की सांसद हैं। ऐसा न कर ओछी राजनीति की जा रही है।

रायबरेली में स्मृति ईरानी का दिशा का अध्यक्ष बनना जिले की सांसद सोनिया गांधी का कद कम होना बताया जा रहा है। इसका अध्यक्ष बनने के बाद स्मृति ईरानी अब रायबरेली में दखल दे सकती है जोकि कांग्रेस के लिए खटकने वाली बात होगी। हालांकि केंद्रीय मंत्री के चलते स्मृति ईरानी का दखल पहले से ही संभव था लेकिन सांसद के तौर पर जो हक सोनिया गांधी का कांग्रेसी नेता बता रहे हैं, वो अब स्मृति ईरानी के पास आ गया है।

वहीं इस कदम को उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से भी जोड़ा जा रहा है। बता दें कि इससे पहले 2018 में हुई बैठक में सोनिया गांधी अध्यक्ष, जबकि तत्कालीन अमेठी सांसद रहे राहुल गांधी को सह अध्यक्ष बनाया गया था। दरअसल लोकसभा चुनाव के बाद हर बार दिशा के लिए अध्यक्ष व सह अध्यक्ष का चयन ग्रामीण विकास मंत्रालय से होता है। बिना मनोनयन के जिले में दिशा का गठन नहीं किया जा सकता है। भारत सरकार से मनोनयन का पत्र आ गया है। इसमें केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी को अध्यक्ष, जबकि सांसद सोनिया गांधी को सह अध्यक्ष बनाया गया है।

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