नई दिल्ली। रामचरितमानस पर विवादास्पद टिप्पणी करने वाले समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य अब मुश्किलों में घिर चुके हैं। उनके बयान के बाद से ना महज राजनीतिक गलियारों में आक्रोशित प्रतिक्रियाएं आना शुरू हो चुकी हैं, बल्कि अब उनके खिलाफ कानून का भी सहारा लिया जा रहा है। आपको बता दें कि रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी को लेकर स्वामी प्रसाद मौर्य के खिलाफ लखनऊ में एफआईआर दर्ज कराई गई है। सपा नेता के खिलाफ आईपीसी की धारा 295 ए ,298, 504, 505(2), 153a के तहत केस दर्ज करवाया गया है। ऐशबाग के शिवेंद्र मिश्रा ने सपा नेता के खिलाफ यह प्राथमिकी दर्ज कराई है। इसके अलावा धर्म रक्षा संघ के अध्यक्ष रमाकांत गोस्वामी ने इस प्रकरण के संदर्भ में लखनऊ एसीपी को ज्ञापन भी लिखा है।
मंदिर में भी एंट्री हुई बैन!
इसके अलावा विवादित टिप्पणी के बाद सपा नेता की मंदिर में एंट्री बैन कर दी गई है। जगह-जगह पोस्टर चस्पाकर उनके मंदिर जाने पर रोक लगा दी गई है। पोस्टर में लिखा गया है कि रामचरितमानस पर विवादित टिप्पणी करने वाले सपा नेता की मंदिर में एंट्री बैन कर दी गई है। उल्लेखनीय है कि मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने हिंदू धर्म ग्रंथ रामचरितमानस को एक बकवास पुस्तक करार दे दिया था और उसमें लिखे श्लोकों को हटाए जाने की मांग भी सरकार से कर दी थी। इतना ही नहीं, उन्होंने पुस्तक पर प्रतिबंध लगाए जाने की भी मांग कर दी थी।
उन्होंने आगे कहा था कि धर्म चाहे कोई भी हो, हम सभी का सम्मान करते हैं, लेकिन जिस तरह से धर्म और जाति के नाम पर लोगों को नीचा दिखाए जाने की कोशिश की गई है, उसका हम विरोध करते हैं। बता दें कि सपा नेता ने मीडिया से मुखातिब होने के क्रम में कहा था कि रामचरितमानस में तुलसीदास शूद्रों को अधम जाति का प्रमाणपत्र दे रहे हैं। उन्होंने आगे कहा था कि, ‘ब्राह्मण भले ही दुराचारी, अनपढ़ और गंवार हो, लेकिन अगर वह ब्राह्मण है, तो उसे पूजनीय बताया गया है, लेकिन शूद्र कितना भी ज्ञानी, विद्वान हो, उसका सम्मान मत करिए।
सपा में तूफान
वहीं, अभी तक सपा की तरफ से स्वामी के बयान पर कोई भी आलोचनात्मक टिप्पणी सामने नहीं आई है। वहीं, दुबी जुबां से ही सही, लेकिन स्वामी के बयान को सपा में दो चश्मों से देखा जा रहा है, जहां एक तरफ अंबेडकरवादी तबके ने उनके बयान को लेकर सकारात्मक रुख अपना रखा है, तो वहीं सवर्ण गुटों के नेताओं की ओर से बयान की दबी जुबां से आलोचना की जा रही है, लेकिन अभी तक इस पूरे मसले को लेकर सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई है। अब सभी को उनके बयान का इंतजार है।
गौरतलब है कि इससे पहले बिहार के शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर ने रामचरितमानस को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने रामचरितमानस में लिखे गए श्लोकों को दलितों के विरोध में बताया था, जिसे लेकर बीजेपी उनपर हमलावर हो गई और सीएम नीतीश से भी उन्हें पार्टी से बर्खास्त किए जाने की मांग की जाने लगी, लेकिन पार्टी की तरफ से ऐसा कोई कदम नहीं उठाया गया। वहीं, उनके बयान के बाद बिहार की राजनीति में तूफान आ चुका है। उधर, तमाम विरोधों के बावजूद भी बिहार के शिक्षा मंत्री अपने बयान पर कायम हैं। बहरहाल, अब यह पूरा माजरा आगामी दिनों में क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।