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Farmers Protest: आंदोलन कर रहे किसान नेताओं के बीच फूट, राकेश टिकैत और चढ़ूनी पर मान गुट ने लगाया ये आरोप

rakesh tikait and gurunam singh chanduni

नई दिल्ली/कुरुक्षेत्र। कृषि कानूनों के विरोध में आठ महीने से दिल्ली की सीमाओं पर समर्थकों के साथ डटे किसान संगठनों में अब फूट पड़ती दिख रही है। भारतीय किसान यूनियन के मान गुट ने राकेश टिकैत और गुरनाम सिंह चढ़ूनी पर गंभीर आरोप लगाते हुए इन्हें गिरफ्तार करने की मांग की है। मान गुट के प्रदेश अध्यक्ष गुणीप्रकाश और महासचिव प्रवीण मथाना के नेतृत्व में इस मांग को लेकर किसानों ने सोमवार को कुरुक्षेत्र-सहारनपुर रोड भी जाम किया था। मान गुट का आरोप है कि गुरनाम सिंह चढ़ूनी और राकेश टिकैत किसानों को गुमराह कर रहे हैं। दोनों नेताओं की सरकार से मिलीभगत है। इसी वजह से चढ़ूनी और टिकैत के खिलाफ तमाम जगह केस दर्ज होने के बाद भी उनको गिरफ्तार नहीं किया जा रहा है। मान गुट ने दोनों को गिरफ्तार करने के लिए हरियाणा सरकार के सामने समय सीमा तय की थी। जिसके बाद सोमवार को गुट के नेताओं ने समर्थकों के साथ हाइवे को जाम कर दिया था। प्रशासन ने बड़ी मुश्किल से नेताओं को समझाकर जाम खुलवाया। अब मान गुट ने चेतावनी दी है कि अगर चढ़ूनी और टिकैत को 15 दिन में गिरफ्तार न किया गया, तो वह आंदोलन को तेज करेगी।

इससे पहले इस साल जनवरी में भारतीय किसान यूनियन के भानु गुट और राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन ने आंदोलन से हाथ खींच लिया था। दोनों संगठनों ने टिकैत और चढ़ूनी पर किसानों को बरगलाने और केंद्र सरकार से बातचीत की राह में अड़ियल रवैया अपनाने का आरोप लगाया था। अब मान गुट के भी विरोध में खड़े होने के बाद टिकैत और चढ़ूनी के अलावा छोटे-मोटे किसान संगठन ही आंदोलन में रह गए हैं।

उधर, केंद्र सरकार ने किसानों को फसल के एवज में बढ़ी हुई एमएसपी लेकर पहले ही किसान संगठनों के उन दावों की हवा निकाल दी है कि सरकार अब एमएसपी खत्म करने वाली है। जबकि, खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने साफ कहा कि सरकार ऐसा कभी नहीं करेगी और उनकी सरकार का इरादा किसानों की आय दोगुना करने का है।

किसान आंदोलन में सियासत कितनी है, ये इसी से पता चलता है कि कांग्रेस, सपा, बीएसपी, वामपंथी और तृणमूल कांग्रेस जैसी पार्टियां खुलेआम टिकैत और चढ़ूनी जैसे नेताओं का समर्थन कर रही हैं। पश्चिम बंगाल विधानसभा के दौरान टिकैत कोलकाता भी पहुंचे थे और वहां ममता बनर्जी की पार्टी के पक्ष में जनसभाएं भी की थीं।

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