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Sri Lanka: प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर किया कब्जा, भागे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे

नई दिल्ली। चलिए, चलते हैं श्रीलंका, जहां आर्थिक बदहाली की गिरफ्त में आकर लोग अब राष्ट्रपति के आवास में जबरन दाखिल हो गए। प्रदर्शनकारियों द्वारा राष्ट्रपति आवास को चौतरफा घेर लिया गया है। राष्ट्रपति की मौजूदा आर्थिक नीतियो से बिफरे लोग अपने रोष को जगजाहिर कर रहे हैं। प्रदर्शनकारी हाथों में झंडे लेकर सरकार की आर्थिक नीतियों को आलोचना कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि लोगों के उग्र को ध्यान में रखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे आवास छोड़कर भाग चुके हैं। उधर, कुछ मीडिया रिपोर्ट का कहना है कि प्रदर्शनकारियों में शामिल कुछ लोग अब हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने से गुरेज नहीं कर रहें हैं। आगजनी की गतिविधियों को अंजाम दिया जा रहा है। लोगों का यह प्रदर्शन कुछ नहीं, सिर्फ और सिर्फ राष्ट्रपति गोटबाया राजपेक्ष की आर्थिक नीतियों का विरोध है।

प्रदर्शनकारी में शामिल लोग राजपक्षे के खिलाफ नारे लगा रहे हैं और उन्हें अपनी बदहाली का सबब ठहरा रहे हैं। हालांकि, इससे पहले क्षीलंका के प्रधानमंत्री रानिल विक्रमसिंधे की ओर से कहा गया था कि अपने रोष को जाहिर करने के लिए किसी भी प्रकार की हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने से गुरेज ही करे, लेकिन नहीं, श्रीलंका मौजूदा स्थिति और इंटरनेट की दुनिया में छाए वीडियो  प्रधानमंत्री के उक्त कथन से निहायत ही अलहदा  नजर आ रहे हैं। उधर, श्रीलंका की मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, प्रदर्शनाकरियों के उग्र प्रदर्शन को रोकने के लिए हवाई फायरिंग भी की गई थी। आंसू गैस भी छोड़ गए। लेकिन, इन सबके बावजूद भी हुकूमत के खिलाफ श्रीलंका की आवाम का कहर थमने का  नाम नहीं ले रहा है। स्थिति इतनी विकराल हो चुकी है कि प्रदर्शनकारियों को नियंत्रित कर पाना मुश्किल हो रहा है।  हालांकि, सुरक्षाकर्मियों समेत अन्य अधिकारियों की ओर से  गुजारिश की जा रही हैं कि वे किसी भी प्रकार की हिंसक गतिविधियों को अंजाम देने से गुरेज करें। लेकिन, श्रीलंका की मौजूदा स्थिति देखकर यह  कहना अब ज्यादा मुनासिब रहेगा कि वहां की हूकुमत के खिलाफ यह लोगों का गुस्सा नहीं, बल्कि भड़ास है।

उधर, श्रीलंका की मौजूदा स्थिति को ध्यान में रखते हुए प्रधानमंत्री रानिल बिक्रमसिंधे ने आपातकालीन बैठक बुलाई है, जिसमें उन्होंने अपनी सरकार में शामिल सभी अधिकारियों को बुलावा भेजा है। माना जा रहा है कि इस बैठक में श्रीलंका की मौजूदा आर्थिक स्थिति को दुरूस्त करने की दिशा में कई कदम उठाए जाने पर विचार विमर्श किया जाएगा। वहीं, लोगों के रोष को ध्यान में रखते हुए संसद भी बुलाने का आह्वान किया गया है। अब ऐसी स्थिति में देखना होगा कि आगामी दिनों में श्रीलंका की आर्थिक स्थितियों को दुरूस्त करने की दिशा में क्या कुछ कदम उठाए जाते हैं और इसके परिणामस्वरूप वहां की आर्थिक स्थिति में क्या परिवर्तन देखने को मिलते हैं।

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