News Room Post

Prayagraj Dharm Sansad: धर्म संसद में संतों की मांग, ‘धर्मांतरण करने वालों को हो फांसी और हिंदुओं को मिले 5 बच्चे पैदा करने की इजाजत’

dharm snasad

नई दिल्ली। भारतीय राजनीति में धर्मांतरण शुरू से ही विवादित मसलों की फेहरिस्त में शुमार रहा है। इसे लेकर समाज के हर तबके के मुख्तलिफ ख्यालात रहे हैं, जो कभी मतभेद तो कभी मनभेद बनकर सामने आए हैं। सरकार की तरफ से धर्मांतरण पर रोक लगाने की दिशा में ठोस कानून बनाने की बातें भी कही गई। इस दिशा में उत्तर प्रदेश की योगी सरकार विगत दिनों धर्मांतरण पर विराम लगाने की दिशा में कानून भी लेकर आई थी, जिसका किसी ने विरोध तो किसी ने स्वागत किया। वैसे तो भारतीय संविधान के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को अपने मन-मुताबिक किसी भी धर्म का अनुसरण करने की स्वतंत्रता है, लेकिन अगर किसी को धन का लालच या बाध्य कर धर्मांतरण कराने की कोशिश की जाती है, तो यह अशिष्ट रवैया माना जाता है, जिस पर विराम लगाने की दिशा में अब तक सरकार की तरफ से कई पहल किए गए हैं, लेकिन मुख्तलिफ ख्यालातों की वजह से ये धरातल पर नहीं उतर पाते हैं।

अब इतना सब कुछ पढ़ने के बाद आप सोच रहे होंगे कि आखिर क्या एक बार फिर धर्मांतरण का मसला चर्चा में आ गया है, जो इस तरह की भूमिकाएं रचाई जा रही हैं, तो आपको बताते चलें कि अगर आप ऐसा ही कुछ अनुमान लगा रहे है , तो आप बिल्कुल ठीक ही अनुमान लगा रहे हैं, क्योंकि प्रयागराज में आयोजित किए गए धर्म संसद में आमंत्रित हुए लोगों ने कई मसलों को लेकर विवादित बयानों की जिस तरह से बयार बहाई है, उसमें धर्मांतरण भी शामिल है। बता दें कि धर्म संसद में शामिल हुए शंकराचार्य नरेंद्रानंद सरस्वती ने कहा कि धर्मांतरण पर रोक लगाने हेतु हमें कठोर कदम उठाने होंगे। उन्होंने कहा कि धर्मांतरण करने वाले व्यक्ति को फांसी पर चढ़ा देना चाहिए।उन्होंने यह भी कहा कि धर्मांतरण समाज के ताने-बाने को बिगाड़ने की दिशा में की गई एक कोशिश है, जिस पर विराम लगाने की दिशा में  कठोर कदम उठाने होंगे। इसके अलावा उन्होंने धर्मांतरण से हिंदुओं की कम होती आबादी के संदर्भ में सरकार से मांग की है कि हिंदुओं को 5 बच्चे पैदा करने की इजाजत दी जाए, ताकि जनसंख्यायिक संतुलन समाज में स्थापित हो सकें। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान लगातार कम होती हिंदुओं की आबादी को लेकर अपनी चिंता जाहिर की है।

वे यही नहीं रूके, बात जब हिंदुओं की जनसंख्या की आई, तो उन्होंने मुस्लिमों की बढ़ती जनसंख्या का जिक्र करने से गुरेज नहीं किया। उन्होंने कहा कि विगत कुछ वर्षों से जिस तरह मुस्लिमों की आबादी में तेजी दर्ज की गई है, उसे देखते हुए अब मुस्लिमों के माथे से अल्पसंख्यक होने का तगमा ले लेना चाहिए। वहीं, महामंडलेश्वर प्रभुदानंद महाराज ने इस्लामिक धर्म को लेकर अपनी जमकर भड़ास निकाली तथा जिहादी बिल्ली बताते हुए हिंदुओं को कबूतर बता दिया। उन्होंने यह कहने से भी कोई गुरेज नहीं किया, जो कोई भी देश विरोधी गतिविधियों में संलिप्त पाया जाता है, उसे पाकिस्तान या बांग्लादेश भेज देना चाहिए, उसे भारत में रहने का नैतिक अधिकार नहीं है। इस बीच उन्होंने संबोधन के दौरान कई मसलों को लेकर विवादित बोल सामने आए हैं, जिसको लेकर आगामी दिनों में हिंदुस्तान की सियासत का पारा गरमाता हुआ नजर आएगा।

Exit mobile version