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कृषि क़ानूनों पर NDA से नाता तोड़ने वाले प्रकाश सिंह बादल ने सरकार के फैसले पर जताई खुशी, दिया बड़ा बयान

parkash singh badal

नई दिल्ली। आज का दिन उन सभी किसानों के लिए बेहद खास है, जो विगत एक वर्ष से केंद्र सरकार द्वारा लाए गए कृषि कानूनों को निरस्त करवाने हेतु राजधानी दिल्ली की सीमाओं पर आंदोलित थे। इस एक साल के आंदोलन के दौरान ऐसा बहुत कुछ हुआ, जो आने वाले दिनों में केंद्र से लेकर प्रदेश स्तर तक की राजनीति की दशा व दिशा तय करने में निर्णायक भूमिका निभाएगा। इसे लेकर कई मौकों पर आंदोलनकारी किसानों की केंद्र सरकार के नुमाइंदों से वार्ता भी हुई थी, लेकिन अफसोस वह सब बेनतीजा ही साबित हुई और आखिरकार आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सुबह 9 बजे देश को संबोधित करते हुए तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का ऐलान कर दिया। उन्होंने जैसे ही यह ऐलान किया, तो आंदोलनकारी किसानों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई। वे एक-दूसरे को गले लगाकर मिठाइयां खिला कर अपनी खुशी का इजहार करने लगे।

वहीं, मोदी सरकार के ऐलान के बाद सियासी गलियारों में हलचल देखी जी रही है, जिसमें सभी सियासी दलों के नुमाइंदों  की प्रतिक्रिया देखी जा रही है। अब इसी बीच अकाली दल के प्रमुख और राजग से अपना नाता तोड़ चुके प्रकाश सिंह बादल ने मोदी सरकार के इस ऐलान के बाद कहा कि, ‘यह इतिहास का निर्णायक पल होने जा रहा है। उन्होंने इस पल को गुरुनानक देव की जयंती पर किसानों के लिए ऐतिहासिक दिन बताया है। उन्होंने आगे अपने बयान में कहा कि दुनिया में किसानों के संघर्ष की घटना में यह सबसे बड़ी घटना रही है। मैं सभी आंदोलनकारी किसानों को धन्यवाद देता हूं, जिन्होंने इतने लंबे समय के संघर्ष के बाद सफलता हसिल की है।

प्रकाश सिंह बादल ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इतिहास ऐसा पहली बार हुआ है, जब किसी लोकतांत्रिक सरकार ने किसानों से परामर्श लिए बिना ऐसा क्रूर कानून लेकर आई थी। ऐसा किसी भी लोकतांत्रिक सरकार को नहीं करना चाहिए। इस सरकार ने बेहद ही संवेदनशील तरीके से संवेदनहीन फैसला लिया है। इसकी जितनी भत्सर्ना की जाए, उतनी ही कम है। बता दें कि अकाली दल ने कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन को ध्यान में रखते हुए अपनी मोदी सरकार से अपने सारे नाते तोड़कर अपने लिए अलग राह अख्तियार कर ली थी।

प्रकाश सिंह बादल ने किसानों की मौत पर जताया दुख

इसके अलावा उन्होंने किसानन आंदोलन के दौरान मारे गए किसानों के परिजनों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने आगे कहा कि दुनियाभर में गरीबों और वंचितों के लिए न्याय के लिए संघर्ष पर इसका व्यापक और दीर्घकालिक प्रभाव पड़ेगा। इसके साथ ही उन्होंने किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले किसानों के परिजनों को वित्तीय सहायता व सरकारी नौकरी देने की मांग की है। अब देखना होगा कि आगे चलकर सरकार की इस पूरे मसले पर क्या कुछ प्रतिक्रिया रहती है। फिलहाल केंद्र सरकार के इस फैसले पर सियासी गलियारों में हलचल का सिलसिला जारी है। सभी इस पर अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं।

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