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Uttarakhand: उत्तराखंड बॉर्डर पर पत्थरबाजी, नेपाल की तरफ से तटबंध निर्माण में लगे मजदूरों पर किया गया पथराव

नई दिल्ली। साल 2020 के बाद अब एक बार फिर से भारत-नेपाल के रिश्ते तनावग्रस्त हो सकते हैं। अगर ऐसा हुआ तो कूटनीति के मोर्चे पर चीन नेपाल को मोहरा बनाकर भारत के खिलाफ माहौल बना सकता और लाजिमी है कि उसे इस खेल में पाकिस्तान का भी साथ सहज मिले। लिहाजा इससे पहले इन तीनों की तिकड़ी आगे चलकर भारत के लिए दुश्रारियों का सबब बनें, उससे पहले ही कड़े कदम उठाने होंगे। आइए, आगे आपको पूरा माजरा विस्तार से बताते हैं।

दरअसल, खबर है कि नेपाल की तरफ से भारतीय मजदूरों पर पथराव किया गया है। वहीं मौके पर मौजूद सुरक्षाकर्मी यह सबकुछ देखते रहे। उन्होंने क़ोई भी कदम उठाना जरूरी नहीं समझा। बता दें, धारचुला क्षेत्र में यह पथराव किया गया, जहां भारतीय मजदूर पिछले कई दिनों से तटबंध निर्माण कार्य में जुटे हैं। नेपाल की तरफ से इस तटबंध निर्माण पर आपत्ति भी जताई गई थी, जिसमें खलल पैदा करने के लिए अब नेपाल की तरफ से पथराव किया गया, ताकि निर्माण कार्य में बाधा उत्पन्न हो। धारचूला के आरपार भारत और नेपाल स्थित है। धारचूला से 20 किलोमीटर की दूरी पर चीन स्थित है।

वहीं, धारचूला में काली नदी के आसपास भारत और नेपाल है। काली नदी के आसपास सैकड़ों की संख्या में गांव हैं। धारचूला के पास चीन और नेपाल की सीमा भी लगती है, जिसे देखते हुए माना जा रहा है कि आगामी दिनों में पाकिस्तान का सहारा लेकर कूटनीतिक मोर्चे पर भारत की घेराबंदी की जा सकती है। ऐसी स्थिति में यह सरकार के लिए जरूरी हो जाता है कि कड़े कदम उठाए जाएं।

आपको बता दें, यह कोई पहली मर्तबा नहीं है कि जब नेपाल की तरफ से भारत के खिलाफ ऐसी नापाक हरकत की गई है, बल्कि इससे पहले भी इस तरह के प्रयास किए जा चुके हैं। ध्यान रहे, साल 2020 में भी नेपाल की तरफ से नक्शा जारी किया गया था, जिसमें लिंपियाधुरा, कालापानी और लिपुलेख को दिखाया गया था। यह तीनों ही इलाके उत्तराखंड में स्थित हैं। उत्तराखंड द्वारा जारी किए गए नक्शे के बाद भारत की तरफ से आपत्ति जताई गई थी।

भारत ने इसका विरोध किया था। जिसके बाद चीन ने इस नक्शे को लेकर जारी गतिरोध पर हस्तक्षेप किया था और नेपाल को अपने पाले में लेकर भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने का मन बनाया था और इस खेल में पाकिस्तान ने भी परोक्ष रूप से साथ आने के संकेत दे दिए थे। जिसके बाद भारत ने जहां चीन और पाकिस्तान को कड़े संदेश दिए तो वहीं दूसरी तरफ नेपाल के साथ अपने मैत्रिपूर्ण रिश्तों को बहाल किया। अब इसी बीच एक बार फिर से ऐसी स्थिति देखने को मिल रही है, जिसे ध्यान में रखते हुए भारत को उपयुक्त कदम उठाने की आवश्यकता है।

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