नई दिल्ली। सुखबीर सिंह बादल को शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए दो दिन हो चुके हैं मगर अभी तक उनका इस्तीफा स्वीकार नहीं किया गया है। शिअद कार्यसमिति की बैठक के बाद अब यह फैसला लिया गया है कि पार्टी पदाधिकारियों से फीड बैक के बाद इस्तीफ के संबंध में फैसला किया जाएगा। इस बारे में जानकारी देते हुए शिरोमणि अकाली दल के प्रवक्ता डॉ. दलजीत सिंह चीमा का कहना है कि सुखबीर सिंह बादल के अध्यक्ष पद से इस्तीफे को लेकर शिरोमणि अकाली दल के नेता काफी भावुक हैं।
<blockquote class=”twitter-tweet”><p lang=”en” dir=”ltr”><a href=”https://twitter.com/hashtag/WATCH?src=hash&ref_src=twsrc%5Etfw”>#WATCH</a> | Chandigarh | Shiromani Akali Dal leader Dr Daljit Singh Cheema says, "The leaders of Shiromani Akali Dal are very emotional about the resignation of Shiromani Akali Dal (SAD) President Sukhbir Singh Badal. They have also expressed their opinion in the meeting of… <a href=”https://t.co/h9UyhRyRas”>pic.twitter.com/h9UyhRyRas</a></p>— ANI (@ANI) <a href=”https://twitter.com/ANI/status/1858482013797593529?ref_src=twsrc%5Etfw”>November 18, 2024</a></blockquote> <script async src=”https://platform.twitter.com/widgets.js” charset=”utf-8″></script>
चीमा ने कहा कि पार्टी नेताओं ने बैठक में भी अपनी राय रखी है। शिरोमणि अकाली दल की बैठक में कार्यकारिणी समिति ने भी अपनी स्पष्ट राय रखी। हलके के इंचार्ज भी अपनी राय रखना चाहते हैं और पार्टी ने सभी की राय का स्वागत किया है। उन्होंने कहा कि सभी से बातचीत के बाद इस संबंध में जल्द ही फैसला किया जाएगा। आपको बता दें कि 16 नवम्बर को सुखबीर बादल ने शिअद अध्यक्ष पद से इस्तीफ दिया था। तब चीमा ने कहा था कि नए अध्यक्ष के चुनाव का मार्ग प्रशस्त करने के लिए सुखबीर बादल ने पार्टी की कार्य समिति को अपना इस्तीफा सौं है।
चीमा ने चंडीगढ़ मुद्दे पर भी की बात
वहीं, चीमा ने कहा, चंडीगढ़ पंजाब की राजधानी है और एक साजिश के तहत चंडीगढ़ में हरियाणा का अधिकार जमाने की कोशिश की जा रही है। जबकि फैसला यह हुआ था कि पांच साल बाद हरियाणा को नई राजधानी मिल जाएगी। मगर अब एक साजिश के तहत हरियाणा को चंडीगढ़ में जमीन एलॉट करके हरियाणा विधानसभा बनाने के लिए कोशिश की जा रही है। हम इस साजिश को सफल नहीं होने देंगे। पंजाब का हक उसे मिलना चाहिए। इसी तरह पंजाब विश्वविद्यालय में सीनेट पर पंजाब का नियंत्रण खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है, पंजाब के किसानों को लूटा जा रहा है।