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ASI Survey Of Bhojshala: भोजशाला मामले में मुस्लिम पक्ष को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, जारी रहेगा एएसआई का सर्वे

ASI Survey Of Bhojshala: मुस्लिम पक्ष धार के भोजशाला को कमाल मौला मस्जिद बताता है। वहीं, हिंदू पक्ष का कहना है कि परमार वंश के प्रतापी महाराजा भोज ने इसे बनवाया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि भोजशाला में विद्या की देवी सरस्वती की प्रतिमा थी। ये प्रतिमा अब लंदन के एक म्यूजियम में है।

नई दिल्ली। मध्यप्रदेश के धार स्थित भोजशाला का एएसआई सर्वे जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष को बड़ा झटका देते हुए ये फैसला किया है। मुस्लिम पक्ष ने भोजशाला के एएसआई सर्वे को रोकने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। भोजशाला पर हिंदू और मुस्लिम पक्ष दोनों ही दावा करते हैं। हिंदू पक्ष ने इस मामले में मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में अर्जी दी थी। इस पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने एएसआई को भोजशाला का सर्वे कर बताने के लिए कहा है कि ये हिंदुओं का धार्मिक स्थल है या नहीं। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट के इसी आदेश को मुस्लिम पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।

मुस्लिम पक्ष धार के भोजशाला को कमाल मौला मस्जिद बताता है। वहीं, हिंदू पक्ष का कहना है कि परमार वंश के प्रतापी महाराजा भोज ने इसे बनवाया था। हिंदू पक्ष का दावा है कि भोजशाला में विद्या की देवी सरस्वती की प्रतिमा थी। ये प्रतिमा अब लंदन के एक म्यूजियम में है। वहीं, मुस्लिम पक्ष भोजशाला को अपना बताता है। भोजशाला के बाहर एक दरगाह भी है। अब तक हर मंगलवार को सुबह से शाम तक हिंदू पक्ष को भोजशाला में पूजा-पाठ करने और शुक्रवार को मुस्लिम पक्ष को यहां नमाज पढ़ने की इजाजत मिली हुई है। फिलहाल भोजशाला में एएसआई के पुरातत्वविद कई दिनों से सर्वे कर रहे हैं। हाईकोर्ट ने 6 हफ्ते में सर्वे कर इसकी रिपोर्ट देने को कहा है।

धार जिले की सरकारी वेबसाइट का भी कहना है कि भोजशाला को महाराज भोज ने बनवाया था। इसे एक शिक्षण केंद्र के तौर पर बनाया गया था। सरकारी वेबसाइट के मुताबिक भोजशाला को 14वीं सदी में स्थानीय मुस्लिम शासक ने इस्लामी धार्मिक केंद्र में बदल दिया था। हिंदू पक्ष का कहना है कि भोजशाला के मंदिर होने संबंधी सबूत उसके पास हैं। वहीं, मुस्लिम पक्ष प्लेसेज ऑफ वर्शिप एक्ट 1991 का हवाला देकर हिंदू पक्ष के दावे का विरोध कर रहा है।

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