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Bilkis Bano: सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस बानो की अर्जी को किया खारिज, गैंगरेप और हत्या के दोषियों को रिहा करने पर जताया था विरोध

Bilkis Bano: बिलकीस ने अपने रिव्यू पिटीशन में कहा था कि इस मामले का ट्रायल महाराष्ट्र में चला है। वहां की रिहाई नीति के तहत ऐसे घृणित अपराधों में 28 साल से पहले सजायाफ्ता को रिहा नहीं किया जा सकता।

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात दंगों में गैंगरेप की पीड़ित बिलकीस बानो की अर्जी खारिज कर दी है। बिलकीस ने इस मामले के 11 दोषियों की जेल से रिहाई के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दी थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में एक दोषी की याचिका पर गुजरात सरकार से कहा था कि वो 1992 की नीति के तहत उसे रिहा करने पर फैसला करे। गुजरात सरकार ने इसके बाद सभी दोषियों को जेल से बीते दिनों रिहा कर दिया था। गुजरात सरकार के इस कदम के बाद बिलकीस ने सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू पिटीशन डाला था। बिलकीस ने कोर्ट से गुजारिश की थी कि दोषियों की रिहाई के फैसले पर फिर से विचार किया जाए।

बिलकीस ने अपने रिव्यू पिटीशन में कहा था कि इस मामले का ट्रायल महाराष्ट्र में चला है। वहां की रिहाई नीति के तहत ऐसे घृणित अपराधों में 28 साल से पहले सजायाफ्ता को रिहा नहीं किया जा सकता। बिलकीस के वकील की इस दलील को भी सुप्रीम कोर्ट ने ठुकरा दिया। सुप्रीम कोर्ट ने पहले ही साफ कर दिया था कि जिस राज्य में अपराध होगा। उसी राज्य में दोषी के आवेदन पर विचार किया जा सकता है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद गुजरात सरकार ने बिलकीस के गैंगरेप और उसके रिश्तेदारों की हत्या के दोषी सभी 11 लोगों की सजा माफ करने का फैसला किया था।

गुजरात में विधानसभा चुनाव से ऐन पहले दोषियों को रिहा करने के सरकार के फैसले का जमकर विरोध हुआ था। गुजरात सरकार ने कोर्ट में बिलकीस की याचिका पर अपना पक्ष रखा था। गुजरात सरकार ने कहा था कि उसने सुप्रीम कोर्ट के दिशानिर्देश के तहत ही बिलकीस के गैंगरेप और परिजनों की हत्या के दोषियों को रिहा करने का फैसला किया। जिसके बाद अब सुप्रीम कोर्ट ने बिलकीस की रिव्यू पिटीशन को खारिज किया है।

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