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Afghanistan: तालिबान का खौफ इतना, काबुल एयरपोर्ट पर हुए हादसे में जान गंवा बैठे अफगानिस्तान के फुटबॉलर जाकी अनवारी

Zaki Anwari Footbaler Afghanistan

काबुल। अफगानिस्तान में तालिबान के आने के बाद से ही वहां अफरा-तफरी का माहौल बना हुआ है। पूरी दुनिया की निगाहें इस नए तालिबान पर टिकी हुई है। तालिबान के समर्थक इस बात का दावा कर रहे हैं कि यह पुराने वाले तालिबान से अलग है। लेकिन जिस तरह की हरकतें तालिबान की तरफ से अफगानिस्तान में कब्जे के बाद से की जा रही है वह सच में लोगों को सशंकित कर रही है। तालिबान का खौफ इतना है कि दुनिया के सभी देश अपने नागरिकों को अफगानिस्तान से निकालने की पूरजोर कोशिश कर रहे हैं। वहीं अफगानिस्तान के निवासी अब अपने लिए सुरक्षित ठिकानों की तलाश में दुनिया के कई देशों में रिफ्यूजी बनने को तैयार हो गए हैं। इसी क्रम में तालिबान के खौफ से आजाद होने की जिद्द में अभी कुछ दिन पहले ही विमान की छत से गिरकर तीन लोगों की मौत हो गई थी।

अब वहां से एक और दुःखद खबर आ रही है। यह खबर अफगानिस्तान के राष्ट्रीय फुटबॉल टीम के एक खिलाड़ी से जुड़ी हुई है। अफगानिस्तान के उस फुटबॉलर का नाम जाकी अनवारी जिनका गुरुवार को निधन हो गया। उसकी मौत के बारे में यह जानकारी निकलकर आ रही है कि काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी विमान में हुए हादसे में इस खिलाड़ी की मौत हो गई है।

इस खिलाड़ी के मौत की पुष्टि एरियाना न्यूज एजेंसी की तरफ से की गई है। न्यूज एजेंसी की तरफ से बताया गया कि जाकी अमेरिकी विमान बोइंग सी-17 से गिरे थे और उनीकी मौत हो गई थी जिसकी पुष्टि खेल महानिदेशालय ने की थी।

तालिबान का खौफ इतना की महिला फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान खिलाड़ियों से बोलीं ‘डिलीट कर दो तस्वीरें, जला दो जर्सी’

तालिबान का कहर सबसे ज्यादा अफगानिस्तान में या दुनिया के किसी भी देश में महिलाएं और बच्चे झेलते हैं। शरिया के नियमों से देश चलाने वाले ये लोग महिलाओं और बच्चों के खिलाफ इतना जुल्म करते हैं कि सुनकर आपकी रूह कांप उठेगी। 1996 से 2001 के बीच तालिबान के जुल्म की इंतहा देख चुकी अफगानी महिलाएं इतनी खौफ में हैं कि अफगानिस्तान की महिला फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान ने खिलाड़ियों से अपील की है कि वह ‘तस्वीरें डिलीट कर दें, साथ ही अपनी जर्सी जला दे।’

तालिबान का खौफ इतना की अफगानिस्तान महिला फुटबॉल टीम की पूर्व कप्तान खालिदा पोपल ने तो इसके अलावा इन महिला खिलाड़ियों से अपना नाम और पहचान बदलने की भी गुजारिश कर दी। ताकि वह अपने आप को तालिबान के बेइंतहा जुल्म का शिकार होने से बचा पाएं।

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