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झारखंड के अल्पसंख्यक मंत्री का बेतुका बयान, कहा- लड़कियों की शादी की उम्र 16 साल कर देनी चाहिए, क्योंकि…!

jharkhand minister

नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने संसद में लड़कों और लड़कियों की शादी की उम्र एक समान 21 साल कर दी है। पीएम मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर लड़कियों की शादी की उम्र बढ़ाने की बात कही थी, जिसे अब धरातल पर उतारा गया है। इससे जहां सभी बेटियों को, जो अल्प आयु में शादी की वजह से उच्च पढ़ाई से वंचित रह जाती थीं, उन्हें अब अपनी उच्च पढ़ाई मुकम्मल करने में मदद मिलेगी, जिसे देखते सभी सरकार के इस फैसले का स्वागत कर रहे हैं, लेकिन कुछ दकियानूसी और ओछी मानसिकता के लोग  सरकार के इस फैसले की मुखालफत कर रहे हैं। सभी अपने-अपने तर्कों को पेश करते हुए सरकार के इस फैसले को गलत बताने पर तुले हुए हैं। इन सभी का यही कहना है कि लड़कियों के लिए शादी की 18 साल उम्र निहायत वाजिब है।

लिहाजा इसे 21 साल करना बिल्कुल गलत है। वहीं, झारखंड के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाफिजुल हसन ने तो इन सभी लोगों से एक कदम आगे बढ़ते हुए बेहद ही बेतुका बयान दे दिया है। उन्होंनें कहा कि लड़कियों की शादी की उम्र 18 साल नहीं, बल्कि 16 कर देनी चाहिए। वर्तमान हालात और लड़कियों के ग्रोथ को ध्यान में रखते हुए उनकी शादी की उम्र में 16 साल बिल्कुल वाजिब है। नहीं तो इसे 18 साल ही रहने दिया जाए। लेकिन 21 करना बिल्कुल अस्वीकार्य है। बता दें कि यह बयान झारखंड के अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री हाफिजुल हसन ने दिया है। उनके इस बयान को लेकर बीजेपी ने उन्हें आड़े हाथों लेते हुए कहा कि अल्पसंख्यक मंत्री का यह बयान उनकी विक्ष्प्त मानसिकता का प्रतीक है। मंत्री का यह बयान देश की बेटियों का अपमान है।

वहीं, मंत्री के इसे बयान पर न महज सियासी गलियारों, बल्कि अन्य लोगों ने भी मुखालफत की है। कहा कि बेटियों के संदर्भ में दी गई उनका उक्त बयान उनकी ओछी सोच का परिचायक है। हालांकि,  हाफिजुल हसन ऐसे इकलौते नेता नहीं हैं, जो केंद्र सरकार के फैसले के विरोध में अपनी ओछी तर्कों को पेश कर रहे हैं, बल्कि उनसे पहले भी कई मुस्लिम नेता अपनी सरकार के उक्त फैसले के विरोध में अपनी ओछी विचाराधारा की नुमाइश कर चुके हैं। इन्हीं में से एक सपा से संभल के सांसद शफीकुर्ररहमान रहमान का नाम भी शामिल हैं, जिन्होंने तो यहां कहने से गुरेज नहीं किया कि लड़कियों की शादी की उम्र 21 साल करने से वे आवारगी करेंगी। गलत रास्ते पर चलेंगी। उन्होंने यहां तक कहा कि वे इस फैसले का संसद में विरोध करेंगे। खैर, कोई कुछ भी कहें, लेकिन उनके इस केंद्र सरकार के इस फैसले का समाज का एक वर्ग समर्थन कर रहा है।

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