News Room Post

जुमे की नमाज पर नहीं हुआ विधानसभा सत्र बंद, तो भड़के ओवैसी के विधायक, RJD वालों ने भी दिया साथ

NAMAZ

नई दिल्ली। आपको तो पता ही है कि हमारा संविधान प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म के रीति रिवाजों का अनुपालन करने की संपूर्ण इजाजत प्रदान करता है। किसी की भी धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करने की इजाजत किसी को भी नहीं दी गई है। लेकिन संविधान द्वारा कुछ नियम भी नियत किए गए हैं। जिनका अनुपालन अपिहार्य है, मगर कुछ लोगों को अब यह अपिहार्यता नहीं भा रही है। अब आप सोच रहे होंगे कि आप ऐसा क्यों कह रहे हैं। तो हम ऐसा बिहार विधानसभा में हुए भारी बवाल को देखने के बाद कह रहे हैं। बता दें कि मौजूदा वक्त में बिहार में बजट सत्र चल रहा है। इस दौरान शुक्रवार को  विधानसभा सत्र के दौरान भारी हंगमा हो गया।

दरअसल, ओवैसी के विधायक विधानसभा में भड़क गए। भड़कने की वजह बस इतनी थी कि आखिर जुमे की नमाज के दिन भी विधानसभा का सत्र क्यों चल रहा है। इसके समय काल में कटौती या इसे बंद किया जाना चाहिए। मतलब, साहब का कहना था कि जुमे क नमाज के दिन विधानसभा का सत्र 12:30 बजे तक ही चलना चाहिए। लेकिन विधानसभा अध्यक्ष उनकी बात पर हामी भरी तो ओवैसी के विधायकों का पारा गरमा गया और उन्होंने विधानसभा सत्र में हंगामा खड़ा कर दिया  और उनके सपोर्ट में आरजेडी के विधायक भी आ गए। चलिए, अब हम ओवैसी के उन विधायकों से रूबरू कराते हैं।

ध्यान रहे कि जुमे को लेकर विधानसभा में बवाल अख्तरुल ईमान और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (भाकपा माले) के महबूब आलम ने शुरू किया। शुक्रवार को विधानसभा सत्र का 10वां दिन था। प्रश्नकाल चल रहा था। मुख्तलिफ मसलों को उठाया जा रहा था। लेकिन फिर एकाएक बात जुमे की नमाज तक जा पहुंची और ये सब कुछ हो गया। एआईएमआईएम के अखरुल ईमान ने जुमे के नमाज के दिन सदन को महज 12: 30 तक चलने  को पुरानी रवायत करार दिया। वहीं, आरजेडी वालों ने इस मांग का समर्थन किया तो कांग्रेस वाले भी सुर में सुर मिलाने आ गए। कांग्रेस विधायक शंकर दुबे ने भी ओवैसी के विधायकों की मांग का  समर्थन किया। वहीं, जब जुमे की नमाज को लेकर विधानसभा में हंगामा बढ़ने लगा तो उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष ने क्या कुछ कहा। आइए, आपको बताते हैं।

क्या बोले विधानसभा अध्यक्ष

बिहार विधानसभा अध्यक्ष ने कहा कि समय के साथ परंपराएं बदलतीं रहतीं हैं। अगर किसी को नमाज पढ़ना ही है, तो वो विधानसभा की परिधि के बाहर जाकर पढ़ सकता है। किसी को कोई आपत्ति नहीं होगी। खैर, इस पूरे मसले ने एक बार फिर से बिहार की राजनीतिक तापमान को बढ़ाकर रख दिया है। सभी लोग इस पर अलग-अलग तरह से अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए नजर आ रहे हैं, लेकिन अब यह पूरा माजरा क्या रुख अख्तियार करता है। इस पर सभी की निगाहें टिकी रहेंगी।

Exit mobile version