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West Bengal: दीदी को सता रहा कुर्सी जाने का डर! सदन में पेश करेंगी विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव

नई दिल्ली। उत्तराखंड में मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत के इस्तीफा देने के बाद से प्रदेश की राजनीति में बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं। वहीं उत्तराखंड में अचानक सीएम बदलने की वजह से पश्चिम बंगाल की सियासत में भी टेंशन का माहौल देखा जा रहा है, क्योंकि जिन हालातों से तीरथ सिंह रावत गुजर चुके हैं, वहीं हाल अब बंगाल की  सीएम ममता बनर्जी का है। यानी ममता दीदी को भी संवैधानिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। जिससे बौखलाई ममता बनर्जी अब राज्य में विधान परिषद की मांग कर रही हैं। ममता बनर्जी ने राज्य की विधानसभा में विधान परिषद बनाने का प्रस्ताव पेश किया है। बता दें कि, 18 मई को तीसरी बार मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद ममता बनर्जी ने विधान परिषद बनाने के कैबिनेट के फैसले को मंजूरी दी थी। जिसे लेकर ममता बनर्जी ने घोषणा की थी कि जिन दिग्गज नेताओं को विधानसभा चुनाव के लिए नामांकित नहीं किया गया था, उन्हें विधान परिषद का सदस्य बनाया जाएगा। बता दें कि साल 2011 में हुए विधानसभा चुनावों के बाद ममता बनर्जी ने नंदीग्राम और सिंगूर में उनके अभियान का हिस्सा रहने वालों लोगों को विधान परिषद में भेजने का वादा किया था।

सूत्रों की मानें, तो तृणमूल कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेताओं को विधानसभा में शामिल नहीं किया गया है। कहा जा रहा है कि इन्हें विधान परिषद में भेजने की तैयारियां की जा रही हैं। इसे देखते हुए एक विधान परिषद स्थापित करने का निर्णय लिया गया है। बता दें कि हाल ही में बंगाल में हुए चुनाव में ममता बनर्जी नंदीग्राम सीट से अपने प्रतिद्वंदी सुवेंदु अधिकारी से हार गई थीं। जिसके बाद उनके हाथ से विधानसभा की सदस्यता चली गई है। वहीं अब मुख्यमंत्री पद पर बने रहने के लिए उन्हें छह महीने के अंदर विधानसभा या विधान परिषद का सदस्य होना जरूरी है।

विधान परिषद में सदस्य

फिलहाल देश के 6 राज्यों में विधान परिषद है, इनमें बिहार, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र और कर्नाटक के नाम शामिल हैं। एक विधान परिषद में सदस्यों की संख्या विधानसभा के सदस्यों से एक तिहाई से अधिक नहीं हो सकती हैं। वहीं पश्चिम बंगाल में विधानसभा की 294 सीटें हैं। इस लिहाज से बंगाल में यदि विधान परिषद बनता है तो उसमें 98 सदस्य ही हो सकते हैं।

बंगाल से हटाया गया था विधान परिषद

बता दें कि बंगाल में पहले भी विधान परिषद था, जिसे साल 1969 में हटा दिया गया था। अब टीएमसी एक बार फिर राज्य में विधान परिषद बनाने की मांग कर रही है। हालांकि भाजपा ने सरकार के इस प्रस्ताव पर किसी तरह की कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन वामदलों ने ममता के इस फैसले पर विरोध जताया है। वामदलों का कहना है कि ममता का यह कदम राज्य के हित में नहीं है।

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