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#IAFChopperCrash: कुन्नूर हादसे में जिंदा बचे कैप्टन वरुण सिंह की चिट्ठी वायरल, औसत दर्जे के छात्रों का बढ़ाया था हौसला

नई दिल्ली। बुधवार 8 दिसंबर का दिन देश के लिए दुख भरा रहा। इस दिन तमिलनाडु के कुन्नूर में हुए दर्दनाक हेलिकॉप्टर हादसे में देश ने अपना पहला चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल खो दिया। घने इलाके में क्रैश हुए हेलिकॉप्टर हादसे में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधुलिका रावत समेत 11 लोगों की जान चली गई। इस घटना को लेकर तरह-तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। माना जा रहा है कि खराब मौसम के कारण सेना का विमान हादसे का शिकार हुआ। इस हादसे में एकमात्र कैप्टन वरुण सिंह जिंदा बचे हैं। जो अस्पताल में जिंदगी की जंग लड़ रहे हैं। इस बीच सोशल मीडिया पर उनकी एक चिट्ठी वायरल हो रही है, जिसमें उन्होंने अपने स्कूल को संदेश लिखा था।

कैप्टन वरुण सिंह ने वीरता पुरस्कार, शौर्य चक्र अपने नाम किया है। लेकिन अब वो अस्पताल में अपने जीवन से संघर्ष कर रहे हैं। उन्होंने अपने स्कूल और प्रिंसिपल को एक प्रेरक पत्र लिखा था जो काफी इंटरनेट पर काफी वायरल हो रहा है।

वरुण सिंह ने आर्मी पब्लिक स्कूल चंडी मंदिर से पढ़ाई की थी। उन्होंने अपने स्कूल को ये चिट्ठी 18 सितंबर 2021 को लिखा था। जिसमें उन्होंने लिखा था- औसत दर्जे का होना ठीक है। हर कोई स्कूल में बेस्ट नहीं होता, हर कोई 90% स्कोर नहीं कर सकता। अगर आप ऐसा करते हैं तो ये एक अद्भुत उपलब्धि है और इसकी सराहना की जानी चाहिए।

आगे उन्होंने लिखा- अगर ऐसा नहीं होता तो ये मत सोचिए कि आप औसत दर्जे के हैं। आप स्कूल में तो औसत दर्जे के हो सकते हैं लेकिन अपने जीवन में नहीं। अपनी हॉबी ढूंढें, जो कुछ भी हो सकती है- कला, संगीत या ग्राफिक डिजाइन। आप जो भी काम करते हैं उसे दिल से करें।

यहां पढ़ें उनकी चिट्ठी

चिट्ठी में उन्होंने आगे लिखा- कैसे एक युवा कैडेट के रूप में उनमें कॉन्फिडेंस की कमी थी। उन्होंने बताया कि कैसे उन्हें एहसास हुआ कि अगर वो अपना दिमाग और दिला कर काम करें तो वो अच्छा कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि- मैंने बेस्ट बनने के लिए काम करना शुरू कर दिया।

अपने पत्र में खुद को मिले शोर्य चक्र का श्रेय अपने स्कूल को दिया। उन्होंने लिखा- वो इस प्रतिष्ठित पुरस्कार का श्रेय स्कूल, एनडीए और उसके बाद वायु सेना में वर्षों से जुड़े सभी लोगों को देते हैं। उन्होंने लिखा- मैं मानता हूं कि उस दिन मेरे कार्य मेरे शिक्षक और साथियों द्वारा संवारने और सलाह देने का परिणाम था।

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